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सिकंदरा विधानसभाः बसपा के गढ़ में खिले कमल को इस बार कौन से मुद्दे देंगे चुनौती, जानिए

कानपुर देहात की सिकंदरा विधानसभा में आगामी चुनाव के मद्देनजर चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है. कभी बसपा का गढ़ मानी जाने वाली इस विधानसभा पर अब बीजेपी का कब्जा है. इस बार भी मुद्दे बहुत हैं. ऐसे में चुनावी समीकरण किस करवट बैठेंगे यह तो आने वाला चुनाव (Up Assembly Election 2021) तय करेगा. चलिए जानते हैं इसके बारे में....

सिकन्दरा विधानसभा में इस बार कांटे की लड़ाई.
सिकन्दरा विधानसभा में इस बार कांटे की लड़ाई.

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Published : Oct 1, 2021, 4:23 PM IST

Updated : Oct 1, 2021, 6:02 PM IST

कानपुर देहातः कानपुर देहात जिले की 207 सिकन्दरा विधानसभा सीट का गठन परिसीमन के बाद 2012 में हुआ था. इससे पूर्व ये विधानसभा राजपुर विधानसभा रही थी. इस सीट पर बसपा ने कई बार बाजी मारी थी. इसलिए ये विधानसभा बसपा का गढ़ भी कहलाती है. पिछले चुनाव में यहां बीजेपी के विधायक स्वर्गीयत मथुरा पाल ने जीत दर्ज की थी. लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हुआ तो उपचुनाव में उनके बेटे अजीत पाल को बीजेपी ने टिकट दिया. वह चुनाव जीत गए. मौजूदा समय में वह इस सीट से बीजेपी विधायक हैं.

जातीय समीकरण

पिछड़ा वर्ग 154129
सामान्य वर्ग 78233

एससी-एसटी

57781

मतदाताओं पर एक नजर

महिला 147425
पुरुष 1,74,842
थर्ड जेंडर 11

कुल

22278 मतदाता
यहां पूर्व दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने 22 ठाकुरों का नरसंहार किया था.

चुनावी इतिहास

1989 और 1991 में निर्दलीय रामस्वरूप वर्मा जीते.

1993 में कॉंग्रेस के चौधरी नरेंद्र सिंह जीते.

1996 में पार्टी बदलकर चौधरी नरेंद्र सिंह बसपा से विधायक बने.

2002 के चुनाव में महेश त्रिवेदी निर्दलीय चुनाव जीते थे.

2007 मे बसपा से इंद्रपाल विधायक चुने गए थे.

सिकन्दरा विधानसभा में इस बार कांटे की लड़ाई.

2012 के चुनाव पर एक नजर

प्रत्याशी पार्टी वोट
इंद्रपाल सिंह बसपा 54482

देवेंद्र सिंह भोले

भाजपा 52303

2017 के चुनाव पर एक नजर

प्रत्याशी पार्टी वोट
स्व. मथुरा पाल बीजेपी 38103

महेंद्र कटियार

बसपा 49776

उपचुनाव पर एक नजर

प्रत्याशी पार्टी वोट
अजीत पाल बीजेपी 73,325
सीमा सचान सपा 61,455
प्रभाकर पांडेय कांग्रेस 19090

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सिकन्दरा विधानसभा में इस बार कांटे की लड़ाई.


ये रहे मुद्दे

कई गांव अभी भी पिछड़ेपन के शिकार.

यमुना के किनारे के सैकड़ो गांवों में अभी नदी का उफान बड़ा संकट बना हुआ है.

ज्यादातर सड़कें खस्ताहाल हैं.

शिक्षा में भी कई गांव अभी भी पिछड़े.

Last Updated : Oct 1, 2021, 6:02 PM IST

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