बेहमई कांड पर संवाददाता हिमांशु शर्मा की खास रिपोर्ट. कानपुर देहात: उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के बेहमई गांव में 42 साल पहले जो घटा, वो शायद ही कभी किसी गांव या शहर में हुआ होगा. फरवरी 1981 की वो रात आज भी बेहमई गांव के लोगों को याद है, जब दस्यु सुंदरी फूलनदेवी ने एक साथ खड़ा करके 20 लोगों को गोलियों से भून दिया था. ये कांड ने देश ही नहीं पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र रहा था.
फूलनदेवी ने 20 ठाकुरों को गोलियों से कर दिया था छलनीःइस कांड की एक और खास बात ये है कि मामले को 42 साल हो चुके हैं लेकिन, कोर्ट में बस तारीख पर तारीख ही मिल रही हैं. जबकि केस के दोनों पक्ष की मौत हो चुकी है. फूलनदेवी का नाम आते ही 42 साल पुरानी वो रात याद आ जाती है जब दस्यु सुंदरी फूलनदेवी, जो बाद में सांसद भी बनीं थीं, ने बेहमई में एक साथ 20 लोगो को लाइन में खड़ा करके गोलियों से भून दिया था. ये सभी ठाकुर थे. इस कांड में फूलनदेवी के साथ एक डाकू था, जिसका नाम पोसा था. 85 साल की उम्र में पोसा की जेल में मौत हो गई थी. वो फूलन देवी गिरोह का आखिरी सदस्य था.
बेहमई गांव में फूलन देवी. फाइल फोटो. फूलनदेवी गिरोह के आखिरी सदस्य की जेल में हो गई थी मौतःडाकू पोसा की तबीयत जेल में बिगड़ने पर उसे जेल से अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां से उसे गंभीर हालत में जिला अस्पताल ले जाया गया. जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने डाकू पोसा को मृत घोषित कर दिया था. बेहमई कांड में पोसा जेल में बंद अकेला आरोपी था. इस मामले में जुड़े वादी पक्ष के गवाहों की भी मौत हो चुकी है. इतना ही नहीं मामले में शामिल रहे अन्य डकैतों जैसे लालाराम, रामअवतार, बाबा मुस्किम, लल्लू समेत अन्य सभी आरोपियों की मौत हो चुकी है.
बेहमई कांड पर 18 दिसंबर को आ सकता है फैसलाःडीजीसी क्रिमिनल राजू पोरवाल ने ईटीवी भारत को बताया कि केस में बयान हो चुके हैं, बहस भी हो चुकी है, हो सकता है 18 दिसंबर को कोर्ट इस मामले में फैसला सुना दे. जब इस कांड के बारे में सवाल किया गया कि अब तो इस मामले से जुड़े न तो वादी हैं, ना प्रतिवादी, दोनों पक्ष की मौत हो चुकी है, तो फैसले का क्या होगा. इस पर उन्होंने बताया कि अब ये राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि पीड़तों को न्याय दिलाए.
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