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बिकरू कांड: नाबालिग आरोपी खुशी को नहीं मिली जमानत

बिकरू कांड की नाबालिग आरोपी कुख्यात अमर दुबे की पत्नी खुशी का जमानती प्रार्थना पत्र मंगलवार को अदालत ने खारिज कर दिया. सहायक शासकीय अधिवक्ता ने खुशी की मानसिक स्थिति उच्च स्तर की होने की दलील देकर जमानत देने का विरोध किया था.

नाबालिग आरोपी खुशी को नहीं मिली जमानत.
नाबालिग आरोपी खुशी को नहीं मिली जमानत.

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Published : Nov 25, 2020, 4:04 PM IST

कानपुर:बिकरू कांड मामले में नाबालिग आरोपी कुख्यात अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे की जमानत कानपुर देहात किशोर बोर्ड न्यायालय ने खारिज कर दी है. सहायक शासकीय अधिवक्ता ने खुशी की मानसिक स्थिति उच्च स्तर की होने की दलील देकर जमानत देने का विरोध किया है. इसी के चलते अब बचाव पक्ष ने जमानत के लिए उच्च न्यायालय में अपील करने की बात कही है. इससे पहले भी कानपुर देहात के किशोर न्याय बोर्ड ने खुशी की जमानत खारिज कर दी थी.

बिकरू कांड में खुशी को बनाया गया आरोपी
2 जुलाई को जनपद कानपुर नगर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरु गांव में कुख्यात विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई थी. इसमें सीओ समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. इस घटना में विकास दुबे के करीबी अमर दुबे की पत्नी खुशी को भी पुलिस ने आरोपी बनाया गया है. कानपुर देहात किशोर न्याय बोर्ड ने खुशी को नाबालिग घोषित किया था. साथ ही उसका मनोवैज्ञानिक परीक्षण भी कराया था.

इस दौरान जांच में पाया गया कि खुशी की मानसिक स्थिति उच्चस्तरीय है. इसके चलते उसकी जमानत किशोर न्याय बोर्ड ने खारिज कर दी थी. इसके बाद बचाव पक्ष के वकील ने एडीजी 13 विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट रणजीत कुमार की कोर्ट में जमानती प्रार्थना पत्र दाखिल किया था. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद प्रार्थना पत्र को एक बार फिर खारिज कर दिया है.

बचाव पक्ष के पास अहम साक्ष्य नहीं
सहायक शासकीय अधिवक्ता देवेंद्र मिश्रा ने खुशी दुबे की मानसिक स्थिति उच्च स्तर की होने की दलील दी है और बचाव पक्ष कोई अहम साक्ष्य नहीं दे सका है. खुशी के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि वह जमानत के लिए उच्च न्यायालय में अपील करेंगे. पैनल से मनोवैज्ञानिक परीक्षण की मांग भी खारिज कर दी गई है.

खुशी को बताया गया था नाबालिग
बिकरु कांड में आरोपी बनाई गई अमर दुबे की पत्नी खुशी के वकील ने उसे नाबालिग बताया था और एंटी डकैती कोर्ट ने किशोर न्याय बोर्ड को इस पूरे मामले में जांच करने के आदेश दिए थे. इस पर किशोर न्याय बोर्ड ने उसका परीक्षण कराया था. घटना के दिन खुशी की आयु 16 साल 10 महीने 12 दिन निकली थी. मनोवैज्ञानिक परीक्षण में उसकी मानसिक स्थिति उच्चस्तर की पाई गई. खुशी के अधिवक्ता ने विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट रणजीत कुमार की अदालत में पैनल से खुशी का मनोवैज्ञानिक परीक्षण कराने का प्रार्थना पत्र दाखिल किया था. इसे अदालत ने खारिज कर दिया है. खुशी दुबे इस समय यूपी के बाराबंकी बालिका सुधार गृह में बंद है.

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