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श्रद्धालुओं ने गंगा में लगायी आस्था की डूबकी, बाहरी भक्तों को कोविड-19 ने किया मायूस

कन्नौज में कोरोना के संक्रमण को देखते हुए इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर बाहरी जिलों से गंगा स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पतिबंध रहा. जिसके चलते आस्था की डूबकी लगाने आये बाहरी श्रद्धालुओं को पुलिस ने जिले की सीमा पर ही रोक दिया.

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Published : Nov 30, 2020, 10:18 AM IST

कार्तिक पूर्णिमा पर आस्था की डूबकी
कार्तिक पूर्णिमा पर आस्था की डूबकी

कन्नौजः कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा सकती है. लेकिन कोरोना को लेकर ये भीड़ नदारद रही. वजह ये है कि इस बार पूर्णिमा पर दूसरे जिलों के लोगों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. हालांकि इसके बावजूद हजारों की संख्या में लोग गंगा स्नान के लिए आये. लेकिन उनकी गाड़ियों को पुलिस ने बार्डर पर ही रोक दिया. इस दौरान पुलिस और श्रद्धालुओं के बीच नोंकझोंक भी हुई.

ये है पूरा मामलाः

इत्रनगरी के महादेवी गंगा घाट पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन लाखों श्रद्धालु गंगा में डूबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं, जिसमें कन्नौज के अलावा कानपुर, कानपुर देहात, औरैया, इटावा समेत दूसरे पड़ोसी जिलों से भी श्रद्दालु यहां आते हैं. लेकिन कोविड-19 के चलते पड़ोसी जिलों से गंगा स्नान के लिए आने पर श्रद्धालुओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इसके लिए जिले की सीमा को सील कर दिया गया. सोमवार यानि आज सुबह से ही गंगाघाट पर श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया. जबकि बाहरी जिलों से आने वाले श्रद्धालुओं के हाथ मायूसी ही लगी.

श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी
सोमवार की सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ महादेवी घाट पर गंगा में डूबकी लगानी शुरू कर दी. पुलिस ने गाड़ियों को घाट से करीब एक किलोमीटर पहले ही रूकवा दिया था. जिससे घाट पर भीड़ न हो सके. श्रद्दालुओं ने गंगा में स्नान कर विधि विधान से पूजा-अर्चना की.

पुलिस घाटों पर कोविड-19 से बचाव के समझाती रही नियम

गंगा घाट पर डूबकी लगाने आये श्रद्धालुओं को पुलिस लगातार सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ पढ़ाती रही. बीच-बीच में पुलिस कोविड-19 के नियमों का पालन करने के दिशा निर्देश भी पुलिस देती रही.

क्या है कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
पुराणों के मुताबिक कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने पर दस यज्ञ करने के बराबर पुण्य मिलता है. इस त्यौहार में मान्यता है कि गंगा में स्नान करने के बाद किये गये दान से भगवान शिव खुश होते हैं. इसके साथ ही विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने पर भोलेनाथ भक्तों की हर मनोकामना भी पूरी करते हैं. इस दिन लहसुन, प्याज, मांस और शराब का सेवन पुराणों में गलत बताया गया है.

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