झांसी : लोकसभा चुनाव को देश के लोकतंत्र का सबसे बड़ा महापर्व माना जाता है. साथ ही इस चुनाव में धनकुबेरों और बाहुबलियों की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है. राजनीतिक पार्टियां आपराधिक छवि के प्रत्याशियों को टिकट देने में संकोच नहीं कर रही हैं और मतदाता ऐसे विकल्पों में से ही अपना प्रत्याशी चुनने को मजबूर हैं. इसे लेकर एडीआर के प्रदेश मुख्य संयोजक संजय सिंह से ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
लोगों को जागरुक करने की मुहिम चलाएगा एडीआर आज के चुनावी माहौल पर बात करते हुए संजय कहते हैं कि हाल में एडीआर ने राष्ट्रीय स्तर पर एक रिपोर्ट तैयार की थी. इसमें यूपी की पिछले पंद्रह साल की रिपोर्ट जारी की गई थी. इस रिपोर्ट से यह निकलकर आया कि राजनीति में इस समय 85 प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जो करोड़पति हैं. अभी हम देख रहे हैं कि जिनके टिकट हुए हैं उनमें से अधिकांश ठेकेदार हैं, बालू माफिया हैं, या फिर बड़े खनन कारोबारी हैं. ज्यादातर ऐसे लोग हैं जिनके पास पैसा आने के बहुत सारे गलत स्रोत हैं.
चुनावी प्रक्रिया में आ रही खामियों के लिए दोषी कौन है?
इस सवाल पर संजय राजनीतिक दलों और मतदाता दोनों को दोषी मानते हैं. वह कहते हैं कि चुनाव आयोग ने कहा कि किसी अपराधी को टिकट देने पर तीन बार प्रिंट मीडिया में और एक बार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापन देना पड़ेगा. दुर्भाग्य की बात है कि राजनीतिक दलों में लोकलाज बिलकुल नहीं रह गई है. वे खुलेआम बताने को तैयार हैं कि यह व्यक्ति अपराधी है. इसमें सबसे बड़े दोषी राजनीतिक दल हैं, जिन्होंने कमाऊ से लेकर जिताऊ तक प्रत्याशी चयन का आधार बनाया है. इसमें मतदाता भी दोषी है, क्योंकि वह उन्ही में से किसी का चयन करता है. कई जगह यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि नोटा को नहीं दबाना है. लोग नोटा के प्रति भ्रम फैला रहे हैं.
महिलाओं की भागीदारी
इस सवाल पर संजय कहते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं की भागीदारी 9 प्रतिशत है. इस पर जारी की गई रिपोर्ट में सामने आया कि वे महिलाएं राजनीति में आ रही हैं, जिनके पति को जेल हो गई. इसके अलावा राजनीतिक घरानों से उनका आगमन हो रहा है. महिलाओं में भी 25 प्रतिशत करोड़पति प्रत्याशी आ गए हैं. फिर भी एक संभावना है कि महिलाओं को 33 प्रतिशत हिस्सेदारी मिलने पर बेहतरी का एक अवसर दिखाई देगा.
राजनीति में सुधार की कोशिशें
इस पर संजय कहते हैं कि इस बार एडीआर काले धन और राजनैतिक दलों के चंदे के खिलाफ मुहिम चलाने की तैयारी में है. यूपी की 11 संसदीय क्षेत्रों, जिनमें बुंदेलखंड की चार सीटें भी शामिल हैं, पर सघन मतदाता जागरूकता करेंगे. जो प्रत्याशी धनबल या जनबल के आधार पर चुनाव अपने पक्ष में करना चाहता हो, ऐसे लोगों के खिलाफ पदयात्रा, चौपाल, व्यापक मतदाता जागरूकता के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाएगा.