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ऑनलाइन गेमिंग के लिए बच्चों ने खरीदे लाखों के हथियार, खाते से पैसे निकले तो अभिभावकों के उड़े होश

यूपी के झांसी झांसी स्थित परिक्षेत्रीय साइबर थाने की जांच में खुलासा हुआ है कि ऑनलाइन गेम खेलने के लिए बच्चों ने अपने अभिभावकों के खातों से लाखों रुपये खर्च कर दिए. अभिभावकों की शिकायत पर जांच की गई तो यह खुलासा हुआ.

ऑनलाइन गेमिंग
डॉ. विवेक त्रिपाठी, नोडल अफसर, परिक्षेत्रीय साइबर थाना.

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Published : Jul 14, 2021, 5:22 PM IST

झांसीःऑनलाइन गेम खेलते-खेलते बच्चों ने ऐसा कारनामा कर दिया कि अभिभावक और पुलिस को होश उड़ गए. बच्चों ने ऑनलाइन गेम खेलते-खेलते लाखों रुपये के गेमिंग हथियार और 5 जी फोन खरीद लिए. खाते से पैसे निकलने के बाद ऑनलाइन ठगी होने की शिकायत अभिभावकों ने पुलिस से की. शिकायत पर जब झांसी स्थित साइबर सेल ने जांच की तो यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ. जांच में खुलासा हुआ कि परिवार के लोगों को इस खरीदारी और खाते से रुपये कटने के बारे में जानकारी न मिले, इसके लिए बच्चों ने खरीदारी के दौरान मोबाइल में आये ओटीपी और ट्रांजिशन से जुड़े मैसेज डिलीट कर दिए थे.

डॉ. विवेक त्रिपाठी, नोडल अफसर, परिक्षेत्रीय साइबर थाना.

महिला के खाते से बच्चे ने खर्च किए 7.50 लाख
जिले के नवाबाद थाना क्षेत्र के रहने वाली महिला ने अपने खाते से 7.50 लाख रुपये धोखाधड़ी से निकाल लिए जाने की शिकायत दर्ज कराई थी. जांच में पता चला कि उसके खाते से रुपये ऑनलाइन गेम खेलने के लिए वर्चुअल हथियार और 5 जी मोबाइल खरीदने में खर्च हुआ है. शिकायतकर्ता को जब पता चला कि उसके भतीजे ने ही गेम खेलने के लिए यह रुपये परिवार को बताए बिना खर्च कर लिया है, तो शिकायत वापस ले ली. इसी तरह ललितपुर के एक व्यक्ति ने लगभग डेढ़ लाख रुपये खाते से निकाले जाने की शिकायत दर्ज कराई थी. इस मामले की जांच में साइबर सेल को पता चला कि बच्चे ने ऑनलाइन गेम के लिए हथियार और 5 जी मोबाइल खरीदने पर खर्च कर दिए. इसी तरह जालौन के एक व्यक्ति के खाते से लगभग 2 लाख रुपये निकल गए थे. इसमें भी बच्चे ने गेम के लिए ऑनलाइन 5 जी मोबाइल खरीदने पर खर्च किया था.

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झांसी स्थित परिक्षेत्रीय साइबर थाने के नोडल अफसर डॉ. विवेक त्रिपाठी ने बताया कि साइबर थाने में कुछ प्रकरण ऑनलाइन गेमिंग के संबंध में आये थे. बच्चों ने गेम में प्रयुक्त होने वाला हथियार खरीदा था. ऑनलाइन गेम के दौरान पॉइंट खत्म होने के बाद हथियार खरीदने के लिए पैसा देना पड़ता है. झांसी में एक महिला के अकाउंट से 7 लाख 55 हजार रुपये निकल जाने की शिकायत आई थी. जांच में पता चला कि यह रुपये शिकायतकर्ता के भतीजे ने ही ऑनलाइन गेमिंग में हथियार खरीदने में खर्च कर दिए थे. यह बहुत बड़ी रकम थी, जो बच्चों में लत को प्रमाणित करती है. बच्चों पर नजर रखने की जरूरत है. बच्चों को दो घंटे से अधिक स्क्रीन टाइम नहीं देना चाहिए. इससे आंखों पर और मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ता है.

ज्यादातर खेले जाने वाले ऑनलाइन और डिजिटल वीडियो गेम

  • ब्लू व्हेल (blue whale)
  • मोमो गेम (momo game)
  • फ्री फायर (free fire)
  • मैंडक्राफ्ट (mandcraft)
  • कॉल ऑफ ड्यूटी (call of duty)
  • बैटललैंड रॉयल (battleland royale)

वीडियो गेम खेलना एक बीमारी

मनोचिकित्सक भी बच्चों के गेम खेलने की आदत को एक बीमारी मान रहे हैं और इससे छुटकारा दिलाने के लिए कई तरह के उपाय सुझा रहे हैं. मनोचिकित्सक बताते हैं कि आजकल बच्चे ज्यादातर ऑनलाइन गेम्स खेलते हैं. उसमें हिंसक चीजें दिखाई जाती हैं, जिस कारण से उनके मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

ऐसे छूट सकती है लत

मनोचिकित्सक का कहना है कि वीडियो गेम की आदत छुड़ाने के लिए पैरेंट्स बच्चोंं के साथ समय ज्यादा बिताएं. उनके साथ खेलें, उनकी बातों को महत्व दें तो धीरे-धीरे बच्चों में गेम खेलने की आदत छूट सकती है. इतना ही नहीं बच्चों को इस आदत को छुड़ाने के लिए पैरेंट्स किसी तरह के पुरस्कार या फिर कोई ऐसी मनपंसद चींज दें, जिससे वह खुश हो जाए. उसके बाद भी बच्चा धीरे-धीरे वीडियो गेम खेलना छोड़ देगा.

गेम पर रेटिंग के आधार पर पैरेंट्स रख सकते हैं नजर

आईटी एक्सपर्ट का कहना है कि गेम में भी रेटिंग दी जाती है, जिसके आधार पर तय किया जाता है कि इसमें कितनी हिंसा है और कितना नहीं. पैरेंट्स को चाहिए कि वह यदि कोई गेम खरीदते या फिर डाउनलोड करते हैं तो उसकी रेटिंग देख लें, जैसे 3,7, 18 इस तरह की रेटिंग आती है और उसमें उसका नेचर दिया रहता है.

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