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...यहां चार गुना ज्यादा पैसा देने पर बनता है ड्राइविंग लाइसेंस! - परिवहन विभाग

यूपी के जौनपुर में बिना दलाली के ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना बालू से तेल निकालने जैसा है. यहां पर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए निर्धारित शुल्क से तीन से चार गुना देना पड़ता है. सबकुछ ऑनलाइन होने के बाद भी परिवहन विभाग की लूट आज तक बंद नहीं हुई.

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ड्राइविंग लाइसेंस फाइल फोटो

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Published : Dec 13, 2019, 12:09 PM IST

Updated : Dec 13, 2019, 12:27 PM IST

जौनपुरः सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के मंत्री नितिन गडकरी जहां आरटीओ ऑफिस को भ्रष्टाचार का बड़ा अड्डा मानते हैं. वहीं भ्रष्टाचार से लोगों को निजात दिलाने के लिए कई नए कदम भी उठाए हैं, लेकिन परिवहन विभाग के कर्मचारियों की मांसिकता आज भी जस की तस है. जिले में ड्राइविंग लाइसेंस बनवान के लिए 1000 की जगह 3500 देने पड़ते हैं.

यहां चार गुना ज्यादा पैसा देने पर बनता है ड्राइविंग लाइसेंस.
जौनपुर का संभागीय परिवहन कार्यालय भ्रष्टाचार का एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है. यहां प्रतिदिन 200 नए ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जाते हैं, लेकिन ड्राइविंग लाइसेंस निर्धारित फीस पर नहीं बनते हैं, बल्कि लोगों को तीन से चार गुना तक अधिक पैसा देना पड़ता है. यहां पर बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपैया का फार्मूला पूरी तरह से फिट बैठता है, क्योंकि यहां पैसे की बिना कुछ भी नहीं होता है.

कई सुविधाएं हैं ऑनलाइन
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की तरफ से अब संभागीय परिवहन कार्यालय पर कई सुविधाएं ऑनलाइन कर दी गई हैं, जिससे कि लोगों को भ्रष्टाचार से कुछ राहत दिलाई जा सके. बावजूद इसके जौनपुर के संभागीय परिवहन कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर किसी भी तरीके का कोई काम निर्धारित शुल्क पर नहीं किया जाता है. यहां कोई भी व्यक्ति सीधे अपना काम नहीं करवा पाता है, क्योंकि दलालों के जंजाल में पूरी तरह से कार्यालय जकड़ा हुआ है.

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हर लाइसेंस पर कर्मियों का बंधा है शुल्क
संभागीय परिवहन कार्यालय में बेटी का लाइसेंस बनवाने के लिए आए अनिल कुमार सिंह ने बताया कि यहां मनमाना पैसा वसूला जाता है. एक लाइसेंस पर 600 रुपये का शुल्क कर्मियों का बंधा होता है. यहां निर्धारित लाइसेंस शुल्क में कोई काम नहीं होता है. यहां पर अगर शुल्क नहीं देंगे तो कोई भी कार्य नहीं होता है, सिर्फ दौड़ाया जाता है, क्योंकि दलालों के बिना यहां कुछ भी मुमकिन नहीं है.

पैसा मिलने पर नियमों को कर दिया जाता है दरकिनार
लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस का शुल्क जहां 350 रुपये है, तो लाइनों में लगे सुरेश ने बताया इसके लिए 2000 से 2500 रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं. यही हाल परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने आये पकंज का है, जिनको निर्धारित शुल्क 1000 के बदले 3500 रुपये देने पड़े. ड्राइविंग लाइसेंस के लिए वाहन चलाने का ज्ञान भी होना अनिवार्य है, लेकिन यहां पैसे की धाक पर ड्राइविंग लाइसेंस के नियमों को किनारे कर दिया जाता है.

यहां पर जो भी नर्धारित शुल्क है, उसी के अनुसार फीस ली जाती है. किसी से भी कोई बाबू या कर्मचारी कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लेता है. यह बात पूरी तरह से गलत है.
-एसपी सिंह, उप संभागीय परिवहन आयुक्त

Last Updated : Dec 13, 2019, 12:27 PM IST

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