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लॉकडाउन: कुम्हारों के चाक की गति हुई धीमी, अब घर चलाना हुआ मुश्किल

पूरे देश में कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन किया गया है, जिसका असर गरीब लोगों पर ज्यादा दिखाई पड़ रहा है. वहीं जौनपुर में लॉकडाउन के कारण कुम्हारों के चाक की गति धीमी पड़ गई है. उनका काम पूरी तरह बंद हो गया है, जिससे घर चलाना मुश्किल हो रहा है.

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Published : Mar 31, 2020, 11:16 AM IST

लॉकडाउन का असर
लॉकडाउन से कुम्हारों के काम पर काफी असर पड़ा है.

जौनपुर: कोरोना महामारी के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री ने 21 दिन के लिए लॉकडाउन कर रखा है. इस लॉकडाउन में आवश्यक वस्तुओं की दुकानों को छोड़कर बाकी सारे काम-धंधे पूरी तरह से बंद हो चुके हैं. चाय की दुकानें भी पूरी तरह से बंद हैं, जिसके चलते चाय के लिए मिट्टी के कुल्हड़ बनाने वाले कुम्हारों का काम भी पूरी तरह से प्रभावित हुआ है.

कुम्हारों का एक बड़ा व्यवसाय चाय के लिए कुल्हड़ बनाना था, लेकिन यह काम पूरी तरह से ठप्प हो गया है, जिसके चलते उनके चाक की गति भी अब धीमी पड़ गई है. कुम्हार इन्हीं मिट्टी के बर्तनों को बनाकर ही अपने परिवार का पालन करता था, लेकिन लॉकडाउन के चलते अब उसे अपने परिवार का पेट पालना भी मुश्किल हो रहा है. नवरात्र में केवल पूजा के मिट्टी के बर्तन ही बन रहे हैं, जिसकी मांग भी बहुत कम है.

लॉकडाउन से कुम्हारों के काम पर पड़ा असर.
कुम्हारों पर पड़ा लॉकडाउन का असर
देश में कोरोना के चलते 21 दिनों के लिए लॉकडाउन किया गया है. इस लॉकडाउन में राशन, मेडिकल और सब्जी की दुकानों को छोड़कर सभी तरह के व्यापार पर रोक लगा दी गई है, जिससे की बड़ी संख्या में बेरोजगारी भी हुई है. लॉकडाउन के चलते लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं. इस लॉकडाउन का प्रभाव जौनपुर के कुम्हारों पर सबसे ज्यादा पड़ा है.

आय का बड़ा साधन हुआ पूरी तरह से प्रभावित
कुम्हारों का एक बड़ा काम होता था कि वह चाय के लिए मिट्टी के कुल्हड़ बनाते थे, लेकिन चाय की दुकानें भी पूरी तरह से बंद हैं, जिसके चलते उनका एक आय का बड़ा साधन पूरी तरह से प्रभावित हुआ है. वहीं घर से निकलने पर पूरी तरह से रोक लगने के चलते परिवार का पेट पालना भी मुश्किल हो रहा है. क्योंकि कुम्हारों का मिट्टी के बर्तन बनाकर ही उससे परिवार का पालन-पोषण होता था, लेकिन इन दिनों यह काम पूरी तरह से बंदी के कगार पर है.
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काम पूरी तरह से प्रभावित हुआ है. चाय की दुकानों के बंद होने से मिट्टी के कुल्हड़ की मांग नहीं है. वहीं अब परिवार का पेट पालना भी मुश्किल हो रहा है. अब बस इस महामारी के रुकने का इंतजार है.
-राजेश प्रजापति, कुम्हार

प्रधानमंत्री के आदेश का पूरी तरह से पालन कर रहे हैं. इससे बीमारी से बचा जा सकता है.वहीं काम तो बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुआ है क्या करें मुश्किल तो हो रही है, लेकिन यह मुश्किल आगे ठीक हो सकती है.
-बाबूलाल, कुम्हार

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