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जौनपुर: गरीब बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं साइकिल गुरु - शिक्षा की अलख

साइकिल गुरु के नाम से मशहूर आदित्य गरीब बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. अबतक 5 लाख किलोमीटर साइकिल से यात्रा कर चुके साइकिल गुरु उत्तर प्रदेश के जौनपुर पहुंचे हैं.

जौनपुर पहुंचे साइकिल गुरू .

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Published : Nov 19, 2019, 7:35 PM IST

जौनपुर:भारत में अभी भी कुछ ऐसे लोग हैं जो शिक्षा की महत्ता को समझते हुए अभियान चला रहे हैं. साइकिल गुरु के नाम से मशहूर फर्रुखाबाद निवासी आदित्य लोगों में अलख जगाने के लिए साइकिल से देश भर की यात्रा पर निकले हैं. आदित्य जौनपुर जिला कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे.

जानकारी देते साइकिल गुरू.

साइकिल पर निकले शिक्षा की अलख जगाने

आदित्य गांव के उन हिस्सों में जाते हैं जहां तक अधिकारियों की नजर न पड़ती हो, जिसके माध्यम से बच्चों को शिक्षा देकर उन्हें स्कूल जाने के लिए प्रेरित करते हैं. उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में समझाते हैं. ये पिछले 27 सालों से शिक्षा का अलख जगाने का काम कर रहे हैं. जिन्हें संसद भवन में हीरो ऑफ द नेशन अवार्ड नवाजा जा चुका है.

आदित्य 'आओ भारत को साक्षर बनाएं' अभियान चला रहे है. बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने के लिए साल 1992 से ही साइकिल से लोगों के पास पहुंच रहे हैं. उन्हें शिक्षा के विषय में बताकर बच्चों का स्कूलों में एडमिशन कराने का कार्य करते हैं.

आदित्य ने बताया कि अब 27 सालों में 5 लाख किलोमीटर साइकिल से यात्रा कर चुका हूं. इस दौरान डेढ़ लाख से अधिक गांवों में कक्षांए लगाकर करीब एक करोड़ बच्चों को शिक्षा दिलाने का प्रयास किया गया है.

आदित्य की प्रमुख उपलब्धियां

  • संसद भवन में हीरो ऑफ द नेशन अवार्ड से नवाजे जा चुके हैं.
  • राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 57 वर्ल्ड रिकॉर्ड एवं अवार्ड सहित सैकड़ों सम्मान प्राप्त.
  • गूगल से मिल चुका है 2018 में भारत का नंबर एक शिक्षक होने का सम्मान.
  • डिस्कवरी चैनल के लिए बना चुके हैं 1 घंटे की डॉक्यूमेंट्री स्टोरी.

साइकिल गुरु के नाम से हैं मशहूर

आदित्य ने बताया कि हर कोई मुझे साइकिल गुरु के नाम से जानता है. मैं पिछले 27 साल से साइकिल से यात्रा कर रहा हूं. साल 2015 से मै भारत यात्रा पर लखनऊ से निकला हूं . मेरे पास आए हुए बच्चे आज बड़े-बड़े अधिकारी बने हैं. जब मेरी खबरें प्रकाशित होने लगी तब मैंने भारत यात्रा के जरिए सभी राज्यों में शिक्षा पर कार्य किया.

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इस अभियान के दौरान दस हजार राते मुझे फुटपाथ पर गुजारनी पड़ी. गरीबी में पढ़ने के बाद मुझे शिक्षा की महत्ता पता चली, जिसके बाद मैंने अभियान चलाना शुरू किया. मैंने इसके लिए अभी तक शादी नहीं की. मुझे जब सम्मान दिया जाता है तो मेरे परिवार वाले मुझ पर गर्व करते हैं.
आदित्य,साइकिल गुरु

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