उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिल यात्रा पर निकले पद्मश्री प्रोफेसर का हाथरस में स्वागत

पर्यावरण संरक्षण के लिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिल यात्रा पर निकले पद्मश्री प्रोफेसर किरण सेठ ने हाथरस में बच्चों को संदेश दिया.

पर्यावरण संरक्षण
पर्यावरण संरक्षण

By

Published : Oct 12, 2022, 10:29 PM IST

हाथरस:पर्यावरण संरक्षण के प्रति युवाओं को जागरूक करने को लेकर साइकिल यात्रा पर निकले पद्मश्री प्रोफेसर किरण सेट का हाथरस में स्वागत हुआ. वह यात्रा के दौरान बीच में पड़ने वाले शहरों में एकाग्रता के लिए क्लासिकल म्यूजिक का प्रचार प्रसार, बच्चों को सफल बनने व पर्यावरण संरक्षण करने की शिक्षा दे रहे है.

कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिल यात्रा पर निकले प्रोफेसर किरेण सेठ ने हाथरस

पद्मश्री 73 वर्षीय डॉक्टर किरण सेठ 43 सालों तक पढ़ाने के बाद कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिल यात्रा(Cycle tour from Kashmir to Kanyakumari) पर निकले हैं. प्रोफेसर किरण ने हाथरस के कुछ स्कूलों में बच्चों को बताया कि बहुत साधारण जीवन से भी वह बहुत कुछ पा सकते हैं. उन्होंने शिक्षकों से कहा कि आप बच्चों को सिखाएं कि कैसे सीखना है. उन्होंने बताया कि गुरुकुल में बच्चों को पहले यह सिखाया जाता था कि कैसे सीखना है. बच्चों को कैसे जीना है यह हमारे सिस्टम से गायब है.

प्रोफेसर किरण सेठ
भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य व कलाओं को युवा वर्ग में लोकप्रिय बनाने में संलग्न संस्था ‘स्पिक मैके’ के संस्थापक पद्मश्री डॉ. किरन सेठ खड़कपुर आई.आई.टी. से पास आउट हैं. देश सेवा का जुनून लिये हुए भारत की गौरवशाली समग्र विरासत को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने और देशवासियों में विभिन्न मुद्दों पर जागरुकता बढ़ाने के लिए वह देश भ्रमण पर निकले हैं. प्रोफेसर किरण सेठ ने कहा की साइकिलिंग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है.
पर्यावरण संरक्षण प्रति जागरूक करने के लिए साइकिल यात्रा
प्रोफेसर किरण सेठ ने 1977 में स्पीक मैके नाम की एक संस्था की शुरुआत की थी. इस संस्था का उद्देश्य लोगों को भारतीय संस्कृति और परंपरा के लिए प्रेरित करना है. 10 साल से संस्था का प्रोग्राम एक पड़ाव पर आकर रुक सा गया और अब ज्यादा लोगों को इससे जोड़ने के लिए इस साइकिल यात्रा की शुरुआत की है.

किरण सेठ मानते हैं कि आजकल का युवा बाहरी दुनिया के लिए बहुत होशियार हो चुका है, लेकिन अंदर से वह कहीं ना कहीं खोखला होता जा रहा है. यही वजह है कि युवाओं में डिप्रेशन और सुसाइड बढ़ता जा रहा है. उनका मकसद है युवाओं में ऊर्जा का संचार करना. उन्हें भारतीय संस्कृति और जीवन की तरफ वापस लेकर आना है. जिसके लिए बच्चों को उनकी ताकत से परिचित कराना भी मेरे इस अभियान में शामिल है.

क्लासिकल म्यूजिक पर ध्यान केंद्रित करना सबसे सुंदर योगा है. इसका प्रचार प्रसार कर, उसे लोगों के बीच ला रहा हूं. साइकिल पर्यावरण को तो सुरक्षित करती है औक साथ ही स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है. इसके लिए युवाओं को जागरूक होना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि मेरी साइकिल की कीमत ज्यादा नहीं है. उसमें गियर और डिस्क ब्रेक नहीं है. केवल 3 जोड़ी कपड़े लेकर निकला हूं और सब को जोड़ता हुआ कन्याकुमारी तक पहुचूंगा. मंगलवार और बुधवार को हाथरस के स्कूली बच्चों को संदेश देने के बाद वह आगे की यात्रा के लिए निकल पड़े.


यह भी पढ़ें:पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी के सहयोग की जरूरत: राज्यपाल


ABOUT THE AUTHOR

...view details