हाथरस: जिले में छात्रवृत्ति के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है. अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के नेशनल खातों के स्टेटमेंट व भौतिक सत्यापन से यह बात सामने आई कि वर्ष 2012-13 में 41 विद्यालयों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि दी गई. हैरानी की बात यह है कि जांच अधिकारियों को प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति वर्ष 2011-12 एवं 2012-13 के भुगतान की कोई भी पत्रावली अथवा अभिलेख कार्यालय अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी में नहीं मिले.
क्या है पूरा मामला -
वर्ष 2012-13 में जिले के अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति में प्राप्त धनराशि के वितरण की जांच परियोजना निदेशक द्वारा की गई थी. परियोजना निदेशक ग्राम्य विकास अभिकरण द्वारा एनआईसी से प्राप्त विद्यालय बार डाटा वेस एवं एसबीआई हाथरस के छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति के खाते की समीक्षा की. जांच में पता चला कि तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी वीरेंद्र पाल सिंह ने भारत सरकार की प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप प्राप्त करने के लिए विभिन्न संस्थाओं के नाम फर्जी व मनमाने तरीके से फीड कर धनराशि की मांगी थी.