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हरदोई: 28 वर्षों से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है ये सरकारी बाजार, जिम्मेदार बेसुध - Market council auctioned government shops

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में 28 सालों से सरकारी दुकानें बंद पड़ी हुई हैं. ये दुकानें किसानों के लिए बनाई गई थीं लेकिन, उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.

बदहाली का शिकार हो रहे हाट बाजार.

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Published : Oct 6, 2019, 11:32 PM IST

हरदोई: जिले में तत्कालीन नेता परमाइलाल द्वारा जिले के बावन ब्लॉक में हाट बाजार के अंतर्गत करीब दस हाट दुकानों का निर्माण कराया गया था. जहां किसान अपनी उपज को बेंचकर उसके मुनासिब दाम हासिल कर सकते थे, लेकिन कुछ दिन चलने के बाद ये दुकानें बंद हो गईं. आज 28 वर्ष बीत जाने के बाद भी बदहाल पड़ी हुई हैं, वहीं जिम्मेदारों ने जल्द ही इन्हें विकसित करने का दावा पेश किया है.

बदहाली का शिकार हो रहे हाट बाजार.

बदहाली का शिकार हो रहे हाट बाजार

हरदोई जिले के बावन ब्लॉक में किसानों की सुविधा के लिए तैयार की गई हाट बाजार आज धूल खा रही हैं. करीब 28 वर्षों से ये दुकानें संचालन की राह ताक रही हैं. इतना ही नहीं दुकानों के संचालन के लिए जिन लोगों ने संचालन राशि जमा की थी उनका पैसा भी फंस कर रह गया है. वहीं इलाके के किसानों को आज भी जिला मुख्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं और उन्हें इन दुकानों का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है. आलम ये है कि ये सरकारी बाजार आज एक गौशाला में तब्दील हो चुकी है और इसके ऊपर पड़ा टीन शेड जर्जर अवस्था में है.

नहीं हो सका संचालन

जिला मुख्यालय से महज 11 किलोमीटर दूर मौजूद बावन ब्लॉक में 1991 में बनी दुकानों का निर्माण तत्कालीन लघु सिंचाई राज्य मंत्री परमाइलाल ने सरस हाट के नाम से कराया था. लेकिन इसका संचालन आज तक नहीं कराया जा सका. इतना ही नहीं यहां बनी दुकानों के संचालन के लिए मंडी परिषद द्वारा 85 हजार से एक लाख साठ हजार रुपये में इनकी नीलामी भी हुई थी, लेकिन लोगों द्वारा दी गयी ये धनराशि भी फंसी हुई है. आज भी यहां के किसान और दुकान लेने के लिए पैसे देने वाले लोग इस इंतज़ार में हैं कि कोई जन प्रतिनिधि या जिम्मेदार अफसरान इस तरफ ध्यान दें.

किसानों को नहीं मिलता मुनासिब दाम

बावन इलाके में किसानों द्वारा गेहूं-धान के साथ ही साग-भाजी आदि की खेती में भी ये क्षेत्र अग्रणी है. यहां आस- पास के गांव जैसे मुजाहिदपुर, कमालपुर, बरेला, सराय, जगदीशपुर और निजामपुर आदि दर्जनों गांवों में बड़ी संख्या में खेती और सब्जी का उत्पादन होता है. इनको बेचने के लिए आज भी यहां के किसान जिला मुख्यालय की दौड़ लगते हैं और बिचौलियों के चंगुल में फंस कर रह जाते हैं, जिससे उन्हें उनकी उपज का मुनासिब दाम नहीं मिल पाता है. आज भी किसान इस बाजार के संचालित होने की राह ताक रहे हैं जिससे कि वे अपनी फसल को यहीं बेंचकर उसके अच्छे दाम हासिल कर सकें और उन्हें जिला मुख्यालय के चक्कर न काटने पड़ें.

क्या कहते हैं जिम्मेदार

एडीएम संजय सिंह ने जानकारी दी कि इन हाट दुकानों के संचालन के लिए रणनीति तैयार की जा रही है. उन्होंने कहा कि जल्द ही इन्हें संचालित कर इनका लाभ स्थानीय किसानों को दिया जाएगा. 28 वर्ष बीत जाने के बाद जो नहीं हुआ वो एडीएम के इस आश्वाशन के बाद अब हो पायेगा या नहीं ये देखने वाली बात जरूर होगी.

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