हमीरपुर: कोरोना संकट और गर्मी के कारण जहां लोग अपने घरों में कैद हैं, वहीं आशा बहुएं तपती धूप में गांव-गांव भटककर कोरोना के खिलाफ सीधी लड़ाई लड़ रही हैं. सुबह होते ही घरों से स्वास्थ्य विभाग की ये सेना प्रवासियों की ट्रैकिंग करने पैदल ही निकल पड़ती है. कई बार ऐसे प्रवासियों की मुखबिरी भी करती हैं, जो बगैर किसी जांच-पड़ताल के सीधे घरों तक पहुंच जाते हैं.
आशा बहुएं प्रवासी मजदूरों का कर रही ट्रैकिंग आशा बहुएं मजदूरों की कर रही ट्रैकिंगजनपद मुख्यालय से सटे कुरारा ब्लॉक के शीतलपुर गांव की आशा बहू ट्रैकिंग करने में जुटी हुई है. आशा बहू ज्योति चौरसिया बताती हैं कि वह सुबह से ही अपने गांव में भ्रमण करना शुरू कर देती हैं. गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं का हालचाल लेती है. इसके साथ ही वह गांव में बाहर से लौटने वाले प्रवासियों के घरों पर पहुंचकर उनके होम क्वारंटाइन की जानकारी लेती हैं. प्रवासियों के साथ उनके परिजनों की भी निगरानी की जाती है.आशा बहुएं प्रत्येक व्यक्ति में जांच करती हैं कि कहीं उसे कोविड-19 जैसे लक्षण खांसी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ तो नहीं है. शिवनी गांव की आशा बहू रेखा रोज अपने एक साल के छोटे बच्चे को घर पर परिजनों के हवाले कर अपनी ड्यूटी करने निकलती हैं. रेखा बताती हैं कि उनके गांव में भी बड़ी संख्या में प्रवासियों की वापसी हुई है. सभी को चिन्हित कर लिया गया है. वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरके सचान ने बताया कि आशा बहुएं अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से निभा रही हैं. उन्होंने बताया कि धगवां पीएचसी के तहत 419, गोहाण्ड पीएचसी में 1558, कुरारा सीएचसी में 1728, मौदहा सीएचसी में 630, मुस्करा सीएचसी में 836, नौरंगा (राठ) सीएचसी में 345 और सुमेरपुर पीएचसी में अब तक 950 प्रवासियों की ट्रैकिंग की जा चुकी है. इस काम में आशा बहुओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं. अभी तक किसी में भी कोविड-19 जैसे लक्षण नहीं दिखे हैं. उन्होंने बताया कि जनपद में आशा बहुओं की संख्या 904 है और इनकी मॉनीटरिंग के लिए 43 आशा संगिनी हैं.