गोरखपुर: गोरखपुर के विश्व प्रसिद्ध टेराकोटा उत्पाद को ई-कॉमर्स वेबसाइट की तर्ज पर ओडीओपी मार्ट पर भी देश विदेश में बैठा कोई भी व्यक्ति ऑर्डर देकर खरीद सकता है. हाल ही में इसका वर्चुअल फेयर भी कराया गया था, जिसमें करीब 35 देशों के एक हजार से अधिक लोग जुड़े हुए थे.
इसके साथ ही एक जिला एक उत्पाद के रूप में चयनित इस प्रोडक्ट को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और भी चल रही हैं. जिस कड़ी में गोरखपुर मंडल में कृषक उत्पाद संगठन (एफपीओ) की तर्ज पर टेराकोटा उत्पादक संगठन बनाने की भी तैयारी की जा रही हैं. एफपीओ को लेकर मंडल के सभी जिलों के अधिकारियों के साथ बैठक भी पूर्ण हो चुकी हैं. जिसके बाद इसमें तेजी आने की उम्मीद हैं. टेराकोटा गोरखपुर के औरंगाबाद गांव का एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसकी अद्भुत कलाकृतियों और टिकाऊ पन ने यहां के कलाकारों को देश-विदेश में सम्मान दिलाया है.
बहुत जल्द इन शिल्पकारों को जोड़कर एक संगठन बनाया जाएगा और उत्पाद को बेहतर बनाने, उसके मार्केटिंग का भी आसान रास्ता तैयार होगा. उपायुक्त उद्योग आर.के. शर्मा कहते हैं कि सरकार से मिले हर निर्देश पर अमल किया जा रहा है. निश्चित रूप से उत्पादक संगठन बनाने से काफी लाभ होगा और इन्हें बाजार उपलब्ध कराने के लिए जो भी जरूरी उपाय होंगे. उसके साथ प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग भी शिल्पकारों को उपलब्ध होगा. वहीं इस कार्य से जुड़े हुए शिल्पकार भी इससे होने वाली कमाई और पहचान से गदगद हैं.
जिस वजह से औरंगाबाद के लगभग हर घर में यह कार्य होता है. यहां के कलाकार गुलाब चंद्र प्रजापति कहते हैं कि उन्हें बहुत सम्मान मिला है. दुनिया के कई देशों में जाकर कला को प्रदर्शित ही नहीं किए हैं लोगों को प्रशिक्षित भी किया है. राष्ट्रीय स्तर पर ज्ञानी जैल सिंह और डॉ कलाम जैसे राष्ट्रपति ने भी उन्हें सम्मानित किया है.
बहुत जल्द शहर के जंगल तिकोनिया नंबर-एक के मोहनापुर इलाके में कॉमन फैसिलिटी सेंटर पर भी काम शुरू हो जाएगा, जिस पर करीब 2.35 करोड़ खर्च होगा. जिसके तहत एक छत के नीचे शिल्पकारों को सारी सुविधाएं उपलब्ध होंगी.
दो से तीन दर्जन टेराकोटा शिल्पी आपस में मिलकर एक समिति बनाएंगे और यह समिति उपलब्ध संस्था संसाधनों का संचालन करेगी. जिससे तैयार उत्पाद की मार्केटिंग के लिए जिला उद्योग केंद्र और सरकार के अन्य प्लेटफार्म मदद करेंगे. सरकारी आयोजनों में टेराकोटा की कलाकृतियों को ही अतिथियों को उपहार देने की पहल भी शुरू हो गई हैं. साथ ही हर जिला स्तरीय अधिकारियों के कार्यालय में भी टेराकोटा के उत्पाद स्थापित किये गए हैं.