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World Anatomy Day: मानव शरीर संरचना को जानने का विषय है एनाटॉमी, वीडियो आधारित प्रोजेक्ट छात्रों का करेंगे मार्गदर्शन - गोरखपुर एम्स में वर्ल्ड एनाटॉमी डे कार्यक्रम

हर साल 15 अक्टूबर को वर्ल्ड एनाटॉमी डे (World Anatomy Day) मनाया जाता है. इस बार इस डे पर चर्चा का विषय बायोमेडिकल विजुअलाइजेशन (Topics On World Anatomy Day) होगा. इससे छात्रों को तो फायदा होगा ही. साथ ही प्रोफेसरों की कमी भी महसूस नहीं होगी. जानिए इस बारे में गोरखपुर एम्स के प्रोफेसर क्या कहते हैं...

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 14, 2023, 7:37 PM IST

वर्ल्ड एनाटॉमी डे पर गोरखपुर एम्स के एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ कुमार सतीश रवि से खास बातचीत

गोरखपुर: मानव शरीर संरचना को जानने का चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में जिस शब्दावली का उपयोग किया जाता है, उसे एनाटॉमी कहते हैं. इसके छात्रों को पढ़ने और जानने के लिए तमाम किताबें उपलब्ध हैं. लेकिन, इसके शिक्षक और प्रोफेसर ही अब इस विषय पर शोध से यह निष्कर्ष निकाला है कि अगर बॉडी का डिसेक्शन विजुअलाइज (वीडियो फॉर्मेट) रूप में प्रस्तुत किया जाए तो वह छात्रों की समझ में और तेजी के साथ आएगा. साथ ही देश और प्रदेश में मेडिकल कॉलेज की बढ़ती संख्या के बीच इस विभाग के प्रोफेसरों की कमी को भी महसूस नहीं किया जा सकेगा.

यह दृश्य आधारित मानव शरीर की संरचना को जानने की प्रक्रिया छात्रों के लिए बेहद मददगार होगी. साथ ही वर्चुअली डिसेक्शन की जानकारी उन्हें प्राप्त होगी. यह कहना है गोरखपुर एम्स के एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ कुमार सतीश रवि का. वह कहते हैं कि इसकी उपयोगिता मानव शरीर की सर्जरी की प्लानिग में बेहतर होगा. वर्चुअली डिसेक्शन द्वारा उसे किया जा सकता है. यह चिकित्सा के अन्य क्षेत्र में जैसे कि आंख, कान, लीवर व हार्ट सबकी जानकारी भी अच्छी दे सकेगा.

गोरखपुर में वर्ल्ड एनाटॉमी डे

प्रोफेसर डॉ सतीश कुमार रवि एनाटॉमी को लेकर देश में गठित संस्था 'नेशनल जनरल ऑफ क्लिनिकल एनाटॉमी' के सबसे युवा एडिटर इन चीफ की भूमिका वर्तमान में निभा रहे हैं. वह एनाटॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के वॉइस प्रेसिडेंट भी हैं. एनाटॉमी पर लिखी इनकी किताब दुनिया के कई देशों के मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई जाती है. उन्होंने ईटीवी भारत को खास तौर पर बताया कि वर्ल्ड एनाटॉमी डे 15 अक्टूबर को साल 2019 से पूरी दुनिया में मनाया जाता है. हर वर्ष इसमें एक नए सब्जेक्ट और थीम पर चर्चा की जाती है, जिससे चिकित्सा विज्ञान के इस महत्वपूर्ण विषय में शोध और संवर्धन को गति मिले.

उन्होंने कहा कि एनाटॉमी के जनक के रूप में एंड्रीयास वेसैलियस को जाना जाता है. इनकी मृत्यु 15 अक्टूबर 1564 को हुई थी. यह विश्व के जाने-माने एनामस्ट थे और ग्रीस के निवासी थे. दुनिया में यह 2019 से मनाया जाना शुरू हुआ. डॉ सतीश ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान का यह सबसे महत्वपूर्ण विषय है. इसके माध्यम से ही शरीर के विभिन्न ऑर्गन्स के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है और शोध के नए तरीके भी इजाद हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि इसकी कई ब्रांचेज हैं और विभिन्न ब्रांचों से समन्वय स्थापित कर उसे बेहतर बनाने का प्रयास किया जाता है. इस वर्ष 15 अक्टूबर यानी कि रविवार को विश्व एनाटॉमी दिवस पर एक विश्व स्तरीय वेबीनार आयोजित किया जा रहा है. इसकी अध्यक्षता दिल्ली एम्स के डायरेक्टर करेंगे और देश दुनिया के करीब 1500 लोग इसमें प्रतिभा करेंगे. इनका रजिस्ट्रेशन हो चुका है. इस चर्चा का विषय 'बायोमेडिकल विजुअलाइजेशन' होगा.

एनाटॉमी में आती है मानव शरीर की पूरी संरचना

प्रोफेसर डॉ सतीश कुमार रवि ने बताया कि मेडिकल साइन्स में एनाटॉमी फाउंडेशन है. जब तक फाउंडेशन मजबूत नहीं होगा, बिल्डिंग खड़ी नहीं हो सकती. इसे MBBS के स्टूडेंट को एक साल में पूरा करना होता है. जो बड़ा कठिन हो जाता है. इसमें कई सारी ब्रांच हैं. शरीर का इलाज करने के लिए सबसे पहले यह होगा कि हम शरीर को जाने. जब तक हम यह नहीं जानेंगे, तब तक हम उसके पैथोलॉजी या विभिन्न बीमारियों के बारे में नहीं जान सकेंगे. अगर कोई कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट या फिजीशियन कुछ भी बनना चाहता है तो उसको एनाटॉमी को जानना ही होगा.

उन्होंने कहा कि इस बार विश्व एनाटमी दिवस पर 'बयोमेडिकल विजुअलाइजेशन' विषय चर्चा के लिए रखा गया है. क्योंकि यह देखा जा रहा है कि प्रोफेसर के साथ रिसर्च के लिए मेडिकल कॉलेजों को डेड बॉडी नहीं मिल पा रही है. इससे छात्रों को पढ़ाई में दिक्कत आ रही है. साथ ही कोरोना के बाद विजुअल और ऑनलाइन सिस्टम बड़ा मददगार हुआ है. इसका उपयोग एनाटॉमी की यह विश्वस्तरीय संस्था करने जा रही है, जिसका परिणाम तय किया जा चुका है. अब बस इसे प्रैक्टिकल रूप में अपनाना है. उन्होंने कहा कि विश्व एनाटॉमी दिवस पर इस विषय को चर्चा में लाकर भारत ही नहीं दुनिया के एनामिस्ट को एक बड़ा संदेश देने का प्रयास होगा. इसका लाभ चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र को निश्चित रूप से मिलेगा.

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