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लोकसभा चुनाव में निषादों की अनदेखी ठीक नहीं: संजय निषाद

मछुआ समाज के लोगों को एससी प्रमाण पत्र जारी न किये जाने को लेकर निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉं. संजय निषाद ने एक रैली का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में अगर निषाद समाज के लोगों को नजर अंदाज किया गया तो भाजपा को यह महंगा पड़ सकता है.

डॉ. संजय निषाद ने भाजपा को चेताया.

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Published : Mar 7, 2019, 4:51 AM IST

गोरखपुर: मछुआ समाज को एससी प्रमाण पत्र जारी न किये जाने के विरोध में निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद के आह्वान पर हल्ला बोल रैली का आयोजन किया जाएगा. इस रैली में निषाद समुदाय के लोगों ने हजारों की संख्या में भाजपा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे.

डॉ. संजय निषाद ने भाजपा को चेताया.


निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद ने बताया कि शासन-प्रशासन की तरफ से उपेक्षित, मछुआ समाज भाजपा सरकार के खिलाफ हजारों की संख्या में इकट्ठा होकर अपनी आवाज को बुलंद करेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा को उखाड़ फेंकने का संकल्प भी लिया जाएगा.


उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार ने किसान, मजदूर, गरीब, नौजवान, संविदा कर्मचारी, शिक्षा मित्र, आंगनबाड़ी, आशा रसोईया सबको धोखा दिया. उन्होंने कहा कि रोस्टर प्रणाली विरोधी नीतियों के खिलाफ मछुआ एससी आरक्षण को लेकर हल्ला बोल रैली का आयोजन नकहा रेलवे स्टेशन रेलवे स्टेशन के समीप भगवानपुर खास में किया जा रहा है. इस दौरान उन्होंने नारा देते हुए कहा कि गरीबी एक बीमारी है, आरक्षण एक दवाई है.


वहीं लोकसभा चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल, निषाद पार्टी महागठबंधन का हिस्सा है. सम्मानजनक सीटों पर लोकसभा 2019 चुनाव लड़ने को तैयार है. संविधान के अनुसूचित जाति की सूची में मझवार जिसकी पर्यायवाची जाति केवट मल्लाह, गौर, कश्यप, धीमर, धीवर, बिंद, भर, राजभर, शिल्पकार प्रजापति दर्जनों जातियां कई सर्वनामों से जानी जाती है. इन जातियों को 31 दिसंबर 2016 को पिछड़ी जातियों से निकाला जा चुका है. पिछड़ी जाति प्रमाण पत्र संवैधानिक रूप से गलत है. सरकार बंटवारे के नाम पर गुमराह कर रही है. शासन को चाहिए कि हाईकोर्ट के आदेशों का शत-प्रतिशत पालन कर जाति प्रमाण पत्र जारी करे.


लोकसभा चुनाव में मछुआ समाज की निर्णायक भूमिका रहेगी. प्रदेश में लगभग 30 लोकसभा सीट पर तीन से चार लाख और 25 पर ढाई से तीन लाख और बाकी पर एक से डेढ़ लाख वोट मछुआ समाज का है, जो आने वाले लोकसभा चुनाव में सभी पार्टियों के लिए बड़ा ही महत्वपूर्ण मत साबित होगा. ऐसे में मछुआ समाज को नजरअंदाज करना सत्ताधारी दल को काफी महंगा पड़ेगा.

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