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गोरखपुर रेलवे हॉस्पिटल में ऑक्सीजन सप्लाई और रेडियोलोजी विभाग में समस्याओं का अंबार

गोरखपुर रेलवे अस्पताल में मरीज कई सुविधाओं को लाभ नहीं ले पा रहे हैं. क्योंकि अस्पताल में कई समस्याएं है कहीं, कोई मशीन काम नहीं कर ही है तो कहीं डॉक्टर ही नहीं है.

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गोरखपुर

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Published : Nov 24, 2022, 4:43 PM IST

गोरखपुर: कोविड-19 की गंभीर समस्या में ऑक्सीजन की बड़ी डिमांड हुई थी. जिसके बाद सरकार सभी प्रमुख अस्पतालों में इसके प्लांट स्थापित करने में जुट गई थी. इसी क्रम में गोरखपुर के ललित नारायण मिश्र रेलवे चिकित्सालय में सांसद रवि किशन शुक्ला के प्रयासों से 500 लीटर का ऑक्सीजन प्लांट तेजी के साथ स्थापित हुआ. यह ऑक्सीजन प्लांट मौजूदा समय में भी कार्य कर रहा है लेकिन, यह कब अपनी सप्लाई बंद कर दे. इसका लाभ मरीजों को न मिल पाए और ऑक्सीजन के अभाव में मरीजों को दूसरे इंपैनल्ड अस्पतालों में रेफर करना पड़े यह कुछ निश्चित नहीं है.

गोरखपुर रेलवे हॉस्पिटल में समस्याओं का अंबार

यही वजह है कि रेलवे अस्पताल का ऑक्सीजन प्लांट सही ढंग से काम करे. इस मुद्दे को सांसद के प्रतिनिधि समरेंद्र कुमार सिंह ने रेलवे के उच्चाधिकारियों की बैठक में उठाया था. उन्होंने कहा कि इस समस्या पर जिम्मेदार तेजी से काम करें और कमियों को दुरुस्त कराएं. जिससे लोगों को इसका जल्द से जल्द लाभ मिल सके. रेलवे अस्पताल 345 बेड का अस्पताल है. अपने आप में यह काफी बेहतरीन अस्पताल माना जाता है. हालांकि इसकी सुविधाएं सिर्फ रेलवे के कर्मचारियों को ही मिलती है. लेकिन अगर सुविधाओं में समस्याएं पैदा हो रही हैं तो इसका खामियाजा रेलवे के उन कर्मचारियों और उनके परिवारों को उठाना पड़ रहा है, जो यहां इलाज के लिए आते हैं और यहीं पर निर्भर है. मौजूदा समय में यहां की एक्सरे यूनिट भी प्रॉपर काम नहीं कर रही है.

एक्सरे प्लेट जनरेट करने वाली मशीन में भी कुछ समस्या है. जो टेंडर प्रक्रिया के बाद नई खरीदी जानी है या मेंटेनेंस किए जाने की स्थिति में आएगी. ऐसे में जो मरीज एक्सरे करा रहे हैं उन्हें एक्स-रे की इमेज व्हाट्सएप पर भी उपलब्ध कराई जा रही है. इन समस्याओं के संबंध में जब ईटीवी भारत ने पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह से बात कि तो उन्होंने का कि ऑक्सीजन प्लांट में कोई समस्या नहीं है. अगर छोटी मोटी दिक्कत आती है, तो उसे शीघ्रता के साथ दुरुस्त कर लिया जाता है. एक्सरे यूनिट को भी बहुत जल्द दुरुस्त कर लिया जाएगा और रिपोर्ट व्हाट्सएप पर भेजनी नहीं पड़ेगी.

पिछले दिनों की बात है कि सेवानिवृत्त रेलकर्मी नरेंद्र देव पांडेय हॉर्ट अटैक होने के बाद रेलवे अस्पताल लाए गए. उन्हें ऑक्सीजन की सख्त जरूरत थी. लेकिन, इमरजेंसी में ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं होने से चिकित्सकों ने उन्हें सूचीबद्ध प्राइवेट अस्पताल के लिए रेफर कर दिया. समय से समुचित इलाज नहीं मिलने पर उनकी स्थिति गंभीर हो गई और इलाज में लंबा समय लगा. रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री केएल गुप्ता कहते हैं कि सुविधाओं और उपकरणों को सही रखने के साथ विशेषज्ञों की भी अस्पताल में मौजूदगी जरूरी है. तभी लोगों को बेहतर सुविधा और जीवन रक्षक व्यवस्था मिल पाएगी.

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