गोरखपुरः बसंत ऋतु में रबी की प्रमुख फसल गेहूं खेतों में लहलहा रही है. धूप-छांव के साथ घटते-बढ़ते तापमान में फसलों की बढ़वार अच्छी खासी होती है. वहीं बालियां निकलने के समय में कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है जो उत्पादन को काफी हद तक प्रभावित करता है.
जनपद में गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. रबी फसलों में गेहूं का प्रमुख स्थान है और इन दिनों इसकी खेती जिले में की जा रही है. बदलते मौसम में तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगा है. इसी मौसम में गेहूं की फसल में बालिया निकलना शरू हो जाती हैं. बदलते मौसम की वजह से गेहूं की फसल में कीटों का प्रकोप भी बढ़ता जाता है, जिससे किसानों को नुकसान होने की संभावना अधिक रहती है. कीट का प्रकोप अधिक होने पर गेहूं की फसल अपेक्षित उत्पादन के सापेक्ष पैदावार नहीं होता है. गेहूं की फसल में जो कीट दिखाई देते हैं उनमें सबसे प्रमुख दीमक, सैनिक कीट, और माहू कीट है जिसका खतरा अधिक होता है. हालांकि किसान समय रहते कीटनाशक का उचित झिड़काव करें तो कीटों पर नियंत्रण पाया जा सकता है.
खेतों में नमी के कारण होता है दीमक का प्रकोप
ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी अन्यदाता अपने खेतों में कच्चे गोबर का प्रयोग अधिक करते हैं. किसान जिस खेत में गोबर का छिड़काव करते हैं, उसमें दीमक का प्रकोप अधिक होता है. दीमक, कीट खास तौर पर अंकुरण अवस्था में फसलों को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. नमी कम होने की दशा में गेहूं की जड़ों को काटकर पौधे को सुखा देता है, जिससे गेहूं की फसल का उत्पादन प्रभावित होता है.