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पिपराइच चीनी मिल हुई शुरू, चीनी के साथ एथनॉल और बिजली का होगा उत्पादन

गोरखपुर में गन्ना किसानों के लिए राहत की बात सामने आयी है. कई वर्षों का सूखा समाप्त कर योगी सरकार ने गन्ना किसानों को राहत पहुंचाई है. पिपराइच चीनी मिल से न सिर्फ किसानों का भला होगा बल्कि यहां से 26 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया जाएगा. मुख्यमंत्री योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट के पूरा होने से किसान वर्ग बेहद खुश है.

पिपराइच चीनी मिल

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Published : Apr 16, 2019, 5:51 AM IST

गोरखपुर : सहकारी क्षेत्र की पिपराइच चीनी मिल की पूजा-पाठ के साथ विधिवत शुरुआत की गई. मिल के महाप्रबंधक और चीफ केन मैनेजर की मौजूदगी में यह महत्वपूर्ण कार्य संम्पन हुआ. आचार संहिता के दौर में यह मिल निर्वाचन आयोग की विशेष अनुमति से अपना पेराई सत्र आज आरंभ कर सकी. क्योंकि यह कार्य पहले से तय था. यह मिल करीब 10 लाख कुंतल गन्ने की पेराई तो करेगी ही साथ ही एथनॉल और बिजली का भी उत्पादन यहां से होगा. गोरखपुर में सीएम योगी का एक ड्रीम प्रोजेक्ट जमीन पर उतरा और गन्ना किसानों के लिए यह संजीवनी साबित होने वाला है.

पिपराइच चीनी मिल हुई शुरू, चीनी के साथ एथनॉल और बिजली का होगा उत्पादन.

पिपराइच चीनी मिल को शुरू करने से पहले इसके वॅायलर की टेस्टिंग 26 मार्च को कर ली गई थी. सभी जरूरी उपकरणों के साथ मेसर्स इस जैक इसे पूरा करने में जुटी है. यहां से 27 मेगावाट बिजली का भी उत्पादन होगा. पेराई की शुरुआत में किसानों को टोकन के आधार पर पर्ची बांटी गई है, जिससे मिलगेट पर गन्ना की गाड़ियों की भीड़ न एकत्रित हो. इस मिल की क्षमता की बात करें तो करीब 10 लाख कुंतल गन्ना की पेराई यहां होगी, लेकिन अधिकारियों का जैसा कहना है कि वह अभी मिल को चालू कर रहे रहे हैं. कोई टॉरगेट फिक्स नहीं है, बस ओपनिंग अच्छी हो जाए. इस मिल के शुरू हो जाने से 242 गांव के 4 हजार किसान लाभान्वित होंगे.

यह मिल गन्ना किसानों के लिए वरदान साबित होगी. जिनकी आमदनी का जरिया गन्ने की फसल होती थी, वह अब अपनी पैदावार बढ़ाकर अच्छी इनकम कर सकेंगे. करीब 31 करोड़ 50 लाख रुपए का गन्ना मूल्य इस क्षेत्र के किसानों में बटेगा. यह पर चीनी निगम ने 29 अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती कर दिया है, तो बाकी कर्मियों को आउटसोर्सिंग पर रखा गया है. गोरखपुर क्षेत्र में चीनी मिल की बेहद मांग थी. यह राजनीतिक मुद्दा था, जिसकी बात हर चुनाव में होती थी पर पूरी तब जाकर हुई जब सीएम के रूप में योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की कुर्सी को संभाला. उन्होंने पुरानी चीनी मिल की जमीन पर नई चीनी की स्वीकृति ही नहीं दी. पूरा 400 करोड़ का बजट देते हुए समय-समय पर ऐसा मॉनिटरिंग किया कि यह दो साल में बनकर खड़ी हो गई, जिसे क्षेत्र के किसान वरदान मान रहे हैं.

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