गोरखपुर: अप्रैल महीने में पड़ रही तेज गर्मी, धूप और तपिश से इंसानी जीवन जहां पूरी तरह परेशान हो उठा है, वहीं पर जानवरों में भी इस मौसम ने बड़ी परेशानी पैदा कर दी है. गोरखपुर के अशफाक उल्ला खां चिड़ियाघर में पर्यटकों को लुभाने के लिए बाड़े में कैद जानवर भी तपिश की बड़ी मार झेल रहे हैं.
शेर, चीता,बाघ, लकड़बग्घा, गैंडा, दरियाई घोड़ा सभी तपिश से बचने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं. चिड़ियाघर प्रबंधन भी इन्हें ठंड के अनुकूल माहौल देने, डिहाइड्रेशन और अन्य तरह की समस्याओं से बचने के लिए उपयुक्त भोजन देने में जुटा है ताकि जानवरों को डिहाइड्रेशन न हो और उनकी सेहत भी खराब न होने पाए. तपिश की हालत ऐसी है कि जानवर अपनी माद में ही आराम फरमा रहे हैं. तपिश और लू से पर्यटकों की भीड़ भी कम हुई है जो यहां आ रहे हैं उन्हें जानवरों को भरपूर देखने का आनंद भी नहीं मिल रहा है.
चिड़ियाघर के डॉक्टर योगेश सिंह (Zoo doctor Yogesh Singh) की मानें तो जो तापमान मानव जीवन के लिए अनुकूल होता है, वह जानवरों को भी सूट करता है. माना जाता है कि 25 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान सभी को आनंद देता है लेकिन अप्रैल के महीने में पारा के 42 -43 डिग्री टेंपरेचर को पार कर जाना सभी के लिए परेशानी का सबब बन गया है. यही वजह है कि जानवरों को ठंड का माहौल देने के लिए बाड़ो में कूलर लगाया गया है. पंखे चलाए जा रहे हैं और स्प्रिंकलर के माध्यम से पानी के छिड़काव और शीतलता का भी इंतजाम हो रहा है.
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