गोरखपुर:रक्षाबंधन का पर्व पर इस बार बाजार में एक अनोखे किस्म की राखी भी देखने को मिलेगी. जो गोरखपुर के औरंगाबाद गांव की विशिष्ट पहचान बन चुकी टेराकोटा (Gorakhpur terracotta rakhis) की मिट्टी से बनाई गई है. भले ही यह राखियां मिट्टी से बनाई गई हैं. लेकिन, इनको पकाने के बाद, विशिष्ट प्रकार के टेराकोटा के लेप और अद्भुत रंगो से की गई इनकी रंगाई ने कलाकारों की कलाकृतियों में जानभर दिया है. हालांकि टेराकोटा की मिट्टी से राखी बनाने का यह कार्यक्रम पहली बार हुआ है. जिसका, कांसेप्ट डॉक्टर भावना जो एक दंत चिकित्सक हैं, उनके मन में तैयार हुआ. राखियों की डिजाइन उनकी एक डिजाइनर मित्र अनु नंदा ने तैयार किया और इसे वास्तविक रूप में अपने हाथों के हुनर से औरंगाबाद के कलाकारों ने उतारा.
टेराकोटा की विभिन्न प्रकार की बनाई जाने वाली मूर्तियां जिनमें दिवाली के दिये, घड़े, भगवान गणेश की प्रतिमा, भगवान बुद्ध, प्रभु राम की अद्भुत कलाकृतियां देश-दुनिया में विख्यात हो रही हैं. इन्हें एक विशिष्ट पहचान देने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'एक जिला एक उत्पाद योजना' (ODOP) के तहत एक बड़ी बाजार उपलब्ध करा दिया है.
पांच साल पहले तक गोरखपुर की माटी की विशिष्ट शिल्प कला टेराकोटा उपेक्षित था. लेकिन, जब सीएम योगी ने इसे ओडीओपी से जोड़ा, तो इसमें पंख लग गए. इसकी डिमांड ऑनलाइन भी बढ़ी हुई है. मिट्टी की ज्वेलरी के बाद भाइयों की कलाइयों पर अब सजने के लिए टेराकोटा की राखियां भी तैयार हो गई हैं. ये राखियां पानी पड़ने के बाद गलने वाली भी नहीं. खास बात यह है कि इस अद्भुत कला को पिरोने के बाद भी इसकी शुरुआत 50 रुपये से हो रही है.