गोरखपुर: जिले के प्रसिद्ध टेराकोटा उत्पाद को पहले से ही वैश्विक स्तर पर विशेष पहचान हासिल है. यह उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ओडीओपी योजना के तहत भी चयनित किया गया है, लेकिन इस बार इसे जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग मिलने के साथ 'बौद्धिक संपदा अधिकार' का भी दर्जा प्राप्त हुआ है. इसके आधार पर गोरखपुर के टेराकोटा शिल्प को कानूनी रूप से नई वैश्विक पहचान मिल गई है.
यही वजह है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस खुशी को ट्वीट करके जाहिर किया है. इससे हस्तशिल्पियों को विधिक सुरक्षा भी मिलेगी. टेराकोटा उत्पाद को वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे 'एक जिला एक उत्पाद योजना' के अंतर्गत शामिल कर मान्यता दी थी, लेकिन बौद्धिक संपदा का अधिकार मिल जाने के बाद जिले के बाहर इस नाम से कोई और कलाकृतियों का निर्माण नहीं कर सकेगा.
इसके बाद टेराकोटा शिल्पियों को और बड़ा बाजार उपलब्ध होगा. गोरखपुर में गुलरिहा थाना क्षेत्र के औरंगाबाद गांव में इस उत्पाद को बनाने वाले कारीगर पीढ़ियों से रहते हैं. वहीं पर इनका कारखाना भी लगा हुआ है. यह अधिकार हासिल करने के लिए पद्मश्री डॉ. रजनीकांत के दिशा निर्देशन में साल 2018 से प्रयास हो रहा था, जिसे अब जाकर सफलता मिली है.