गोरखपुरःधार्मिक पुस्तकों की छपाई का विश्व प्रसिद्ध एकमात्र केंद्र गोरखपुर "गीता प्रेस" ( Gita Press) की धार्मिक पुस्तकों में भगवान कृष्ण और राम से जुड़े हुए लीलाधारी चित्र को पाठक देखता है. लेकिन शायद उसे यह नहीं पता कि इन चित्रों को किसने बनाया है. उनकी चित्रकारी इतनी रंगीन कैसे बनी. ईटीवी भारत अपने पाठकों को अब यह बता रहा है कि धर्म साहित्य की जो भी पुस्तकें हों चाहे वह श्रीमद्भागवत गीता, महाभारत, रामायण रामचरितमानस या फिर अन्य धार्मिक पुस्तकें हों. इसमें जो भी चित्र गीता प्रेस प्रकाशित करता है. वह उनके संस्थान में स्थाई तौर पर काम करने वाले चित्रकारों बीके मित्रा, जगन्नाथ और भगवानदास के हाथों के बनाए हुए हैं. जो कहीं और नहीं मिल सकते हैं. ऐसे करीब 10,000 चित्र इन चित्रकारों के गीता प्रेस के लीला चित्र मंदिर में सुरक्षित हैं. जो सभी पाठकों को विभिन्न पुस्तकों में विभिन्न कलेवर के साथ देखने को मिलते हैं. यह चित्रकारी पाठकों को मंत्रमुग्ध भी करती है.
सालों से लीला चित्र मंदिर में सुरक्षित
सालों से यह विभिन्न चित्र लीला चित्र मंदिर में सुरक्षित रखे गए हैं. जो विभिन्न पुस्तकों में प्रयोग किए जाते हैं. इन्हें बनाने वाले चित्रकार अब इस दुनिया में नहीं है. लेकिन जो चित्र वह बनाकर चले गए हैं. वह उनकी कला को अमर कर गए हैं. आपको बता दें कि करीब तीन माह पूर्व देश के तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद गोरखपुर दौरे पर आए थे. वह गीता प्रेस भ्रमण पर भी गए थे. उन्होंने इस दौरान लीला चित्र मंदिर का विशेष तौर से अवलोकन किया था. जहां के चित्र लोगों के मन मस्तिष्क पर अपनी अमिट छाप छोड़ जाते हैं. गीता प्रेस की 18 सौ से अधिक हिंदू धार्मिक पुस्तकों में प्रकाशित अधिकतर बहुरंगी और श्वेत श्याम चित्र इन्हीं तीन कलाकारों की हैं. जो 1930 से 1980 के दशक में बनाई गई हैं. यह चित्र पौराणिक और धार्मिक पुस्तकों के श्लोक के आधार पर देवताओं के आभूषण,तिलक, आयुध और आसन के आधार पर दर्शाये गये हैं.