गोरखपुर: सरकार आम जनमानस के बेहतर स्वास्थ्य को लेकर काफी संवेदनशील है. आये दिन कुछ न कुछ जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रही है. इसके लिए सरकार सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए काफी बेहतर सुविधाएं मुहैया करा रखी है ताकि किसी भी मरीज को प्राइवेट अस्पतालों का दरवाजा न खटखटाना पड़े. कुछ लोगों की वजह से मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खुला खिलवाड़ किया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग व सरकार की मंशा पर पानी फेरा जा रहा है. ऐसे में सरकार का यह सपना की 'स्वस्थ रहेगा, इंडिया तभी बढ़ेगा इंडिया'कैसे साकार होगा.
फर्जी अस्पताल का हुआ खुलासा. मृत डॉक्टर के नाम पर चलाया जा रहा अस्पताल
जिले के अतरौलिया भटहट स्थित एक अस्पताल में जहां मृत डॉक्टर के नाम पर फर्जी अस्पताल चलाया जा रहा है. भटहट स्थित वैष्णवी हॉस्पिटल संचालित हो रहा है. यह अस्पताल फर्जी तरीके से चल रहा है और इसका रजिस्ट्रेशन किसी मृत डॉ. के नाम पर है. इसके बोर्ड पर जिन डॉक्टरों का नाम लिखा है वह डॉक्टर यहां नहीं बैठते हैं.
मरीजों का किया जा रहा है फर्जी इलाज
ईटीवी भारत की टीम जब वहां पहुंची तो पाया गया कि वहां मौजूद व्यक्ति जो कि अपने आप को अस्पताल का मालिक बता रहा था, पूछताछ के दौरान वह व्यक्ति कैमरे के सामने बोलने से टाल-मटोल करने लगा. यह अस्पताल किसी मृत डॉ. राघवेंद्र सिंह के नाम से चलाया जा रहा है और मरीजों का फर्जी इलाज किया जा रहा है.
अस्पताल में किए जाते है गैर-कानूनी काम
अस्पताल में स्थित एक कमरा बंद मिला और बोलने पर भी नहीं खोला गया. इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि उस कमरे में अल्ट्रासाउंड मशीन हो सकती है. इस यमराज रूपी अस्पताल भ्रूण हत्या जैसा जघन्य अपराध करता होगा. इस तरह के अस्पतालों पर बैन नहीं लगाया गया तो हो सकता है कि जो बेटियां इस संसार में आना चाहतीं हैं उनको गर्भ में ही मार दिया जाए.
डॉक्टर के जगह साला ने उठाया फोन
अस्पताल के मालिक के मोबाइल नंबर पर फोन किया गया तो डॉ. साहब के साले साहब राजकुमार ने फोन उठाया और बताया कि डॉ. साहब अब इस दुनियां में नहीं हैं. उनकों गुजरे लगभग सालों हो गए और इस तरह किसी अस्पताल से उनका कोई लेना देना नहीं है. जब डॉ. साहब जीवित थे तब इस रजिस्ट्रेशन के नाम से बिछिया में अस्पताल चलता था और अब नहीं चलता है.
किसी अन्य डॉक्टर के नाम से चलाया जा रहा है अस्पताल
वहीं अस्पताल के पर्चे पर अंकित डॉ. दीनानाथ पटेल जो कि एक सर्जन हैं और मेडिकल कॉलेज में कार्यरत थे और स्वेच्छा से सेवानिवृत्त हो चुके हैं. उनसे बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस अस्पताल से हमारा कोई लेना देना नहीं है. अगर कोई मेरे नाम का दुरुपयोग कर रहा है तो वह स्वयं दोषी है. इस मामले में सीएमओ डॉ. श्रीकांत त्रिपाठी का कहना है कि इस मामले की जांच की जाएगी. यदि दोषी पाए जाते हैं तो उस सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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