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Published : Jun 5, 2021, 10:22 PM IST

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ऑटो वालों का दर्द: नहीं जमा हो पा रही किस्त, पुलिस करती है अवैध वसूली

कोरोना कर्फ्यू के दौरान यात्री से लेकर ऑटो चालक तक परेशान हैं. जहां ऑटो समय से नहीं मिल पाने की वजह से यात्री अपने घर-गांव समय से नहीं पहुंच पा रहे, वहीं ऑटो नहीं चलने से ऑटो वालों के सामने रोजी रोजगार पर संटक खड़ा हो गया है. ऑटो वालों का यह भी कहना है कि ऐसे समय में भी पुलिस बेवजह परेशान करती है.

ऑटो वालों का दर्द
ऑटो वालों का दर्द

गोरखपुर : करोना कर्फ्यू के दौरान देश के विभिन्न शहरों से ट्रेन और बस से गोरखपुर पहुंचने वाले यात्रियों को अपने घर और गांव जाना बड़ा कठिन हो गया है. वजह यह है कि स्टेशनों पर उतरने वाले यात्रियों को न तो समय से ऑटो मिल पाता है, और न ही कोई दूसरा साधन. इसकी वजह से उन्हें काफी दूर तक पैदल यात्रा करनी पड़ती है. इस बीच उन्हें सरकारी बस की सुविधा अगर मिल गयी तो वह अपने घरों को पहुंच जाते हैं, नहीं तो कई-कई किलोमीटर पैदल चलना उनकी मजबूरी है.

लेकिन जो सबसे बड़ी मजबूरी के शिकार हैं, वह इन यात्रियों को ढोने वाले ऑटो चालक हैं. कोरोना कर्फ्यू के दौरान सड़क पर ऐसे ऑटो वालों का भी निकलना बड़ा मुश्किल हो गया है. अगर यह दो वक्त की रोटी के लिए सड़क पर उतर भी गए, तो पुलिस मनमाने तौर पर उनका चालान करती है या अवैध धन उगाही में लग जाती है. पुलिस के इस रवैये से शहर के ऑटो चालक बहुत खौफजदा हैं.

ऑटो वालों ने बयां किया अपना दर्द

नहीं जमा हो पा रही बैंक की किश्त, पुलिस का डंडा भी खा रहे ऑटो चालक

ईटीवी भारत की ऐसे कई ऑटो चालकों और यात्रियों से बात हुई. जो कमाई न होने और पुलिस के उत्पीड़न के शिकार थे. इन ऑटो चालकों ने कहा कि वह नहीं चलेंगे तो लोन पर लिए गए ऑटो की बैंक किस्त भी नहीं भर पाएंगे. एक भी किस्त लैप्स होती है तो बैंक की तरफ से बार-बार फोन आने लगता है. यहां तक की रिकवरी का भी डर दिखाया जाता है. इसीलिए सड़क पर निकलना उनकी मजबूर है, लेकिन उनकी मजबूरी कोई नहीं समझता. पुलिस लूटपाट करने पर ही आमादा रहती है. जबकि वह परेशान यात्रियों को उचित किराए पर उनके घर से बस स्टेशन और रेलवे स्टेशन लाने-ले जाने का काम करते हैं.


पुलिस पर मनमानी का आरोप

ऑटो चालकों ने रेलवे, कचहरी, धर्मशाला, मोहद्दीपुर पुलिस चौकियों के क्षेत्र में ज्यादा उत्पीड़न की बात किया. उन्होंने कहा कि यात्री ढोने के दौरान वह कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हैं, फिर भी चालान के शिकार हो जाते हैं. उन्होंने सूबे के मुख्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इसमें ढिलाई बरतने की अपील की है. ताकि उनकी और यात्रियों की परेशानी कम हो सके.

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जिले में 6 हजार ऑटो पंजीकृत, शहर में चलते हैं सिर्फ सीएनजी ऑटो

इस संबंध में एसपी सिटी सोनम कुमार से बात हुई तो उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान नियमों की अनदेखी ही, इस महामारी के बढ़ने की वजह रही है. परेशानी तो हर काम में हुई है. लेकिन उसी में सभी लोग सहयोग कर रहे हैं. ऑटो चालकों की भी परेशानी जायज है. लेकिन ऐसा नहीं कि वह सड़क पर नहीं चल सकते. सब का चालान भी नहीं होता. जो ट्रैफिक नियम का उल्लंघन करते हैं या फिर कोरोना की गाइडलाइन का पालन नहीं करते हैं उन्हीं का चालान किया जाता है. जिले में करीब 6 हजार पंजीकृत ऑटो हैं. शहरी क्षेत्र में भी इनकी संख्या दो हजार के करीब है. सीएनजी और डीजल आधारित ऑटो के चलने का एरिया भी निर्धारित है. ऐसे में यह कहना कि पुलिस मनमानी तरीके से ऑटो वालों को परेशान करती है या चालान करती है उचित नहीं है. लेकिन वास्तविकता यह है कि ऑटो चालकों की गतिविधियों पर नजर रखा जाए तो पुलिस की मनमानी दिखाई दे जाती है.

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