गोरखपुर: पहली नजर में ही मन और मस्तिष्क पर छा जाने वाली विश्व प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग हस्तकला का एक बेहतरीन नमूना है. कहा जाता है कि आकर्षक पेंटिंग के पीछे कलाकार की कड़ी मेहनत छिपी होती है और इसमें रेडीमेड कुछ भी नहीं होता. वहीं कलाकृति में भरे जाने वाले रंग भी प्रकृति की गोद से निकले होते हैं. प्रकृति के इन रंगों की ही बदौलत मधुबनी पेंटिंग बनाने वाले कलाकार लोक परंपराओं को जीवंत करने की मुहिम में जुटे हुए हैं.
जिले के टाउनहाल स्थित कचहरी क्लब मैदान में आयोजित शिल्प बाजार में मधुबनी से आए कलाकारों की कृतियों को खूब प्रशंसा मिल रही है. खरीदारी करने आए हुए लोग दुकानों में टंगी कलाकृतियों की ओर आकर्षित हो रहे हैं और सदियों पुरानी इस कलाकृति का अवलोकन कर रहे हैं.
मेला प्रभारी परवेज बताते हैं कि यह मेला विकास आयुक्त हस्तशिल्प वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार नई दिल्ली व प्रबंधक जनता ग्रामीण सेवा संस्थान संतकबीरनगर द्वारा आयोजित है. साथ ही इस शिल्प मेले में भारत के विभिन्न प्रांतों की आकर्षक हस्तशिल्प कला कृतियां व वस्तुओं की प्रदर्शनी एवं बिक्री की जा रही है, जिसमें मधुबनी पेंटिंग अपने आप में एक अलग कला और विधा है. वहीं इसकी मांग इस मेले में सबसे ज्यादा है.