गोरखपुर: जनता के धन की बर्बादी का बड़ा उदाहरण देखना हो तो गोरखपुर आ जाइए. यहां गोरखपुर-देवरिया रोड पर पिछले छह सालों से एक नाले का निर्माण कार्य चल रहा है, जो आज तक पूरा नहीं हो पाया है, जबकि वर्ष 2015 में प्रदेश की तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने यहां के स्थानीय पार्षद के प्रस्ताव पर शहरी क्षेत्र के लोगों को जलभराव से मुक्ति देने के लिए करीब आठ किलोमीटर लंबे इस नाले के निर्माण के लिए 16 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की थी. यही नहीं इसके साथ पूरा बजट भी जारी किया गया था.
नाले का निर्माण कार्य 2016 में प्रारंभ हो गया था. करीब 60 फीसदी तक कार्य भी प्रदेश में भाजपा की सरकार आते-आते पूर्ण हो गया था, लेकिन जैसे ही प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तभी एक स्थानीय जनप्रतिनिधि के द्वारा इस नाले पर की गई आपत्ति ने इसके निर्माण पर ब्रेक लगा दी. नतीजा यह हुआ कि कई खंडों में जहां-तहां बना यह नाला खुले रूप में पड़ा रह गया. यह नाला राहगीरों के साथ-साथ आसपास के लोगों के लिए तब भी समस्या का सबब बना हुआ था और आज भी बना हुआ है.
बीजेपी विधायक की अड़ंगेबाजी को सरकार ने किया खारिज
देवरिया रोड पर यह नाला सिंघडिया चौराहे के पास निर्माणाधीन एम्स से होते हुए सूबा बाजार, खोराबार को जोड़ते हुए कुसम्ही जंगल के रास्ते तुरा नाले में जाकर जोड़ा जाएगा, लेकिन यह नाला राजनीतिक पैतरेबाजी और अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया, जिसकी वजह से आसपास की जनता बारिश के दिनों में त्राहिमाम करने के लिए मजबूर रहती है. इस नाले पर जांच और अवरोध 2017 से लेकर 2020 तक चलता रहा. इस बीच भारी बारिश में इस नाले में जब जलभराव की बड़ी समस्या पैदा हुई तो स्थानीय पार्षद हीरालाल यादव और सांसद रवि किशन शुक्ला ने नाला निर्माण को लेकर अपनी जोर आजमाइश शुरू की, जिसका परिणाम रहा कि प्रदेश की योगी सरकार ने अपने पार्टी के विधायक की शिकायत को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें नाले के ड्राइंग और डिजाइन पर आपत्ति करते हुए इसके निर्माण को जनहित के विपरीत बताया गया था.