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सीएम सिटी में समस्याओं का अंबार फिर भी मुख्य सचिव को नहीं दिखी कोई कमी - सीएम योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट

प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा को गोरखपुर यानी सीएम सिटी में सबकुछ सही दिखता है. जबकि विपक्षी और स्थानीय लोग समस्याओं का अंबार गिना रहे हैं.

गोरखपुर सीएम सिटी
गोरखपुर सीएम सिटी

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Published : May 20, 2022, 10:52 PM IST

गोरखपुर: मौजूदा समय में गोरखपुर सीएम सिटी के नाम से जाना जाता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह गृह क्षेत्र पिछले 5 वर्षों से विशेष चर्चा में है. खुद मुख्यमंत्री की वजह से तो कुछ विशेष विकास परियोजनाओं को लेकर. लेकिन इसकी वजह से यहां अव्यवस्था और लेटलतीफी भी खूब है. सीएम योगी अपने दौरे में जहां योजनाओं की समीक्षा के बाद अधिकारियों को काम में तेजी लाने का निर्देश देते हैं वहीं, प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा को यहां सबकुछ सही दिखता है. अपने दो दिवसीय दौरे में उन्हें कोई कमी नजर गोरखपुर में नहीं आती है. वह मीडिया के सामने बस वाह-वाह ही करते नजर आए. जबकि आम नागरिक से लेकर विरोधी दल के नेता मुख्य सचिव के दौरे से कई तरह की उम्मीद लगाए बैठे थे. लोगों का कहना है कि गोरखपुर की हकीकत अगर शासन का सबसे बड़ा अधिकारी मुख्यमंत्री को बताता तो शायद जो कमियां है उसको दूर करने में और तेजी आती. लेकिन अधिकारियों की सिर्फ पीठ थपथपा कर जाने से यह साबित होता है कि सभी एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं.

जानकारी देते मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा.
गोरखपुर-वाराणसी फोर लेन छह साल में भी अधूराःसमाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता कीर्ति निधि पांडेय का कहना है कि सीएम योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट मेट्रो की कोई शुरुआत अभी यहां पर नहीं हो पाई है. गोरखपुर से वाराणसी को जोड़ने वाली फोरलेन का निर्माण पिछले 6 वर्षों से अधर में लटका पड़ा है. पांच वर्ष योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल के बीत गए लेकिन इस शहर को कूड़ा निस्तारण का उचित स्थान और प्लांट अभी तक नहीं मिल पाया है. जल निकासी की व्यवस्था ध्वस्त है. नालों का निर्माण पूरी तरह से कछुए की गति से हो रहा है. नाला बनने के बाद भी समस्या का निराकरण होता दिखाई नहीं दे रहा है. शहर के लगभग जिन इलाकों से यह नाले गुजरे हैं सभी पार्षदों ने अपनी गंभीर आपत्ति जताई है. क्योंकि पिछले वर्ष 2021 में सभी मोहल्ले 2 महीने तक पानी में डूबे रहे. सीवर सिस्टम के नाम पर कालोनियों की सड़कें खोदकर लंबे समय तक उसे बिना बनाए ही छोड़ दिया जा रहा है.

गौशाला की दुर्दशाः कीर्ति निधी ने कहा कि बिजली की कटौती से मौजूदा समय में शहर में हाहाकार मचा है. यही नहीं बेसिक शिक्षा के स्कूलों में प्राइमरी के बच्चों को अभी किताबें कब मिल पाएंगे इसका भी कोई ठिकाना नहीं है. मुख्य सचिव मुख्यमंत्री के गौशाला की तारीफ तो करके चले गए लेकिन वह उस कान्हा उपवन गौशाला की दुर्दशा को नहीं देखें जहां पर क्षमता से ढाई गुना अधिक लावारिस हो बेसहारा पशु कैसे रह रहे हैं. उनके खाने-पीने के इंतजाम में किस तरह की लापरवाही हो रही है.

लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिएः कीर्ति निधि पांडेय कहते हैं कि मुख्यमंत्री शहर को योजनाओं का तोहफा दे रहे हैं, यह अच्छी बात है. लेकिन उसे समय से पूरा करने में जो अधिकारी लापरवाही बरत रहे उन पर कार्रवाई होनी चाहिए. वह वही काम अपने अधिकारियों और मुख्यमंत्री को दिखाते हैं जो करा पाए हैं.यही वजह है कि मुख्य सचिव को गोरखपुर में सब हरा-भरा नजर आता है. जबकि जनता तबाह है. कुछ पीड़ित ऐसे थे जिन्हें मुख्य सचिव से मिलने ही नहीं दिया गया. जिसमें एक ऐसा पिता मिला जिसका बेटा जम्मू कश्मीर में शहीद हो गया. लेकिन आज तक उसकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही. कीर्ति निधि पांडे ने का कि राप्ती नदी मौजूदा समय में भी शहर के गंदे नाले का पानी अपने अंदर समाहित करने के लिए बेबस है. एसटीपी प्लांट अभी तक क्रियाशील नहीं हो सके हैं. शहर के नालों की सफाई अधूरी है. फिर भी मुख्य सचिव सफाई के मामले में दस में दस नंबर दिए हैं. ट्रैफिक सिस्टम शहर में लागू हुआ और जगरूकता के अभाव में यह लोगों को बड़ा जुर्माना देने का कारण बना है. सीएम के निर्देश के बाद भी अनचाहे बस और टैक्सी स्टैंड जाम का कारण बन रहे हैं.

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सूत्र कहते हैं कि इससे पुलिस को प्रतिमाह छह लाख की वसूली होती है. स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी लाने की बात कहने वाले चीफ साहब जन औषधि केंद्र में दवाओं की कमी नहीं देख पाए. जिस एम्स में तीन सौ बेड का अस्पताल देखकर वह खुश हुए उन्हें वहां एक भी एम्बुलेंस का अबतक न होना दिखाई नहीं दिया. यही नहीं एक्सरे और एमआरआई टेक्नीशियन तक एम्स में नहीं है जो हर हाल में यहां होना चाहिए. यही नहीं जीडीए खोराबार में अपनी टाउनशिप पिछले दो साल से नहीं बना पा रहा लेकिन इसकी समीक्षा और कारण चीफ सेक्रेटरी मीडिया को नहीं बता पाए.

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