गोरखपुर : त्रिकालदर्शी, नीलकंठ, महादेव सहित विभिन्न नामों से जाने जाने वाले भगवान शंकर की महिमा अपरंपार है. ऐसी ही महिमा बाबा भोलेनाथ की भौवापार गांव में देखने को मिलती है. जहां पिछले 600 वर्षों से खुले आसमान के नीचे बाबा मुजेश्वर नाथ के नाम से महादेव विराजमान हैं. इस गांव में आज तक अकाल मृत्यु और भूखे पेट कोई नहीं सोया. लोगों का ऐसा मानना है कि यह सब बाबा मुंजेश्वर नाथ की कृपा से है. वहीं शिवरात्रि पर्व पर हजारों लाखों की संख्या में दूरदराज से भोलेनाथ के भक्त बाबा मुंजेश्वर नाथ के दर्शन कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं.
बाबा मुंजेश्वर नाथ की महिमा है अपरंपार
जनपद मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर दक्षिणांचल में स्थित ऐतिहासिक गांव भौवापार में बाबा मुंजेश्वर नाथ की महिमा अपरंपार है. यह लाखों करोड़ों भक्तों की आस्था का केंद्र है. यहां बाबा मुंजेश्वर नाथ खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं. नाग कौशोलोत्तर नामक प्राचीन ग्रंथ में लिखा गया है कि खेत जोतते समय मजदूरों के फावड़े से ज्यो ही पत्थर पर चोट लगी वहां से दूध की धारा बहने लगी. सतासी नरेश महाराज मूंज ने मूर्ति को अन्यत्र ले जाने का प्रयास किया, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. दूसरे दिन सपने में भगवान अनादिदेव महादेव शिव शंकर ने कहा कि मेरे लिए मंदिर, जलासय एवं पुजारियों के जीविकोपार्जन हेतु अगल-बगल जमीन दे दो. मैं अब यहीं निवास करूंगा. स्वप्न के अनुसार राजा ने अगल-बगल की सारी जमीन मंदिर परिषद को दे दी और मंदिर जलाशय आदि का निर्माण कराया. तभी से राजा मुंज के नाम पर कालांतर में यह मंदिर मुंजेश्वर नाथ के नाम से विख्यात हो गया.
सीएम योगी को भी है मुंजेश्वर नाथ धाम से लगाव
राजनीतिक, सामाजिक दृष्टि से जागरूक होने के साथ इस गांव की मिट्टी में यहां के बाशिंदों में धर्म और संस्कृति रची बसी है. भौवापार स्थित मुंजेश्वर नाथ मंदिर इसी सांस्कृतिक, धार्मिक धरोहर का एक अंश है, जो अपनी ऐतिहासिकता एवं मान्यता के चलते लोगों में श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक बन चुका है. मान्यता के अनुसार मंदिर परिषद के अगल-बगल की जमीन गिरी परिवार को दे दी गई है. गोस्वामी परिवार के लोग ही मंदिर का देखभाल करते हैं. गोरक्ष पीठाधीश्वर व प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी इस मंदिर से काफी गहरा जुड़ाव है. वह अक्सर यहां पर आकर पूजा-पाठ जलाभिषेक, रुद्राभिषेक आदि का कार्य करते रहते हैं. मौजूदा सरकार लगभग 6 करोड़ 30 लाख रुपए की लागत से मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्य करा रही है, जिसमें व्यामशाला, पोखरा, शौचालय, आश्रम, सड़कें, द्वार आदि शामिल हैं.