गोरखपुर: जिले के अजय सिंह मछली पालकों के लिए नजीर माने जाते हैं. लोग उनसे प्रशिक्षण लेकर मछली पालने का काम शुरू करते हैं. मछलियों के कारोबार में उन्होंने महारथ हासिल कर पूर्वांचल में एक मिसाल कायम की है. बैंक से कर्ज लेकर अजय सिंह ने मछली पालन शुरू किया था जो अब कई परिवारों की रोजीरोटी का जरिया बन गया है.
मत्स्य पालन क्षेत्र की नजीर बने अजय
अजय सिंह एक ऐसी शख्सियत हैं, जिनको मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए नजीर माना जाता है. पूर्वांचल में उनकी एक अलग पहचान है. गुजरात में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय मेले में उनको सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के बदौलत शून्य से शिखर तक का सफर तय किया. एक दिन ऐसा भी था जब B. ED करने के बाद नौकरी की तलाश में वह दर-बदर भटक रहे थे. बेरोजगारी के साथ पाई-पाई को मोहताज थे.
दोस्त ने दी थी मछली पालने की सलाह
एक दिन उनके करीबी दोस्त महराजगंज के हैचरी मालिक संजय श्रीवास्तव ने उन्हें मछली पालन करने की सलाह दी. उन्होंने गोरखपुर मुख्यालय से 25 किमी की दूर भटहट कस्बे से सटे पोखर भिंडा गांव की अपनी पुश्तैनी लो लैंड जमीन पर गड्ढा खुदवाया और बैंक से लोन लेकर मछली पालन का काम शुरू किया. 18 वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद अजय सिंह ने करोड़ों का अम्पायर खड़ा कर दिया. वे आर्थिक रूप से इस कदर मजबूत हुए कि कई परिवारों के लिए रोजीरोटी का एक जरिया बन गए हैं.
मत्स्य विभाग भी अजय को मानता है नजीर
आस-पास के जनपदों में मत्स्य पालन का काम शुरू करने वाले लोग उनसे प्रशिक्षण लेने जाते हैं. मत्स्य विभाग भी उन्हें दूसरों के लिए नजीर मानता है. आधुनिक प्रशिक्षण देने के लिए नामी गिरामी कम्पनियां देश-विदेश से प्रशिक्षण हासिल करने के लिए भेजती हैं. अजय सिंह बताते हैं कि बीते दिसंबर ग्रोवेल सिड्स कम्पनी ने उन्हें मलेशिया टूर पर भेजा था. यहां उन्होंने मछली पालन के नए-नए तरीके देखे. पालकों से मछली पालने का तौर तरीका सीखा और कम लागत में अधिक आय की जानकारी हासिल की.