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टूंडला उपचुनाव: इस गांव के नाराज लोगों ने किया मतदान बहिष्कार का एलान

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Published : Oct 23, 2020, 7:36 PM IST

यूपी के फिरोजाबाद जिले में टूंडला विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में प्रत्याशी और राजनीतिक दल लोगों को लुभाने में लगे हुए हैं. वहीं गांव में विकास कार्य न होने से नाराज ग्रामीणों ने इस बार उपचुनाव में मतदान न करने का मन बनाया है. ग्रामीणों का कहना है कि नेता केवल चुनाव के समय ही आते हैं और वायदा कर चले जाते हैं, जो कि जीतने के बाद गांव में दिखाई ही नहीं देते.

टूंडला विधानसभा सीट
टूंडला विधानसभा सीट

फिरोजाबाद: टूंडला विधानसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में प्रत्याशी और राजनीतिक दल लोक लुभावने वादे कर वोटरों को रिझाने में लगे लगे हुए हैं. वहीं इस विधानसभा इलाके का एक गांव ऐसा है, जहां के लोग नेताओं से नाराज हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव का विकास नहीं हुआ है, जिसके चलते गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी है. नेता केवल चुनाव के समय ही आते हैं और वादा करने के बाद चले जाते हैं. ऐसे में इस बार ग्रामीणों ने इस उपचुनाव में मतदान बहिष्कार करने का मन बनाया है.

नाराज ग्रामीणों ने किया मतदान बहिष्कार का एलान


फिरोजाबाद जनपद का गांव भीकनपुर मेघपुर करीब दो हजार की आबादी वाला गांव है, जो कि विकास के मामले में काफी पीछे है. वैसे तो यह गांव फिरोजाबाद शहर से लगा हुआ है, लेकिन यह जिले की टूण्डला विधानसभा क्षेत्र में आता है. इस गांव की कई ज्वलंत समस्याएं हैं, जिनमें गांव की परिक्रमा मार्ग उबड़-खाबड़ होने के साथ ही सड़कों पर गड्ढे भी हैं, जिनसे निकलना भी दूभर हो जाता है.

ग्रामीणों की मानें तो बरसात के दिनों में तो यह रास्ता जलमग्न हो जाता है. इसके अलावा इस गांव में पानी का संकट भी है. वहीं पानी का कोई सरकारी इंतजाम न होने से लोग यहां प्राइवेट समर से पानी को खरीदने को मजबूर हैं. गांव में टीटीएसपी की एक टंकी तो लगी है, लेकिन वह भी खराब पड़ी है. गांव में विकास कार्य न होने से नाराज ग्रामीणों ने इस बार मतदान के बहिष्कार का मन बना लिया है.

ग्रामीणों का कहना है कि अगर कोई प्रत्याशी उन्हें ठोस आश्वासन नहीं देता है, तो वे तीन नबम्बर को किसी भी कीमत पर मतदान नहीं करेंगे. वहीं कुछ ग्रामीणों ने तो अपने अपने दरवाजे पर पर्चे तक लगवा दिए हैं कि वे मतदान का बहिष्कार करेंगे. दरअसल यहां के मतदाताओं का आरोप है कि नेता इस गांव में केवल चुनाव के समय ही आते हैं और विकास का वायदा कर चले जाते हैं, जिसके बाद वे कभी गांव की समस्याओं की तरफ मुड़कर भी नहीं देखते हैं.

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