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जिला पंचायत अध्यक्ष की दौड़ः सपा की राह का रोड़ा बन सकते हैं मुलायम के समधी

उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, सियासी जोड़तोड़ बढ़ती जा रही है. फिरोजाबाद जिले में सपा का सियासी गणित, अपनों के कारण ही उलझ गया है.

फिरोजाबादः
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Published : Jun 19, 2021, 1:42 PM IST

फिरोजाबादः जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए इन दिनों जमकर जोर आजमाइश हो रही है. बीजेपी ने बेशक अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किया है, लेकिन यह तय माना जा रहा है कि पूर्व मंत्री जयवीर सिंह की पुत्रवधू हर्षिता सिंह को पार्टी अपना प्रत्याशी बना सकती है. समाजवादी पार्टी पहले ही इस सीट के लिए सपा नेता बिजेंद्र सिंह ठेकेदार की पुत्रवधू रुचि यादव को अपना प्रत्याशी बना चुकी है. हालांकि सपा का दावा है कि इस बार उनका ही प्रत्याशी चुनाव जीतेगा लेकिन माना जा रहा है कि सपा से निष्कासित सिरसागंज के विधायक और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम यादव सपा की जीत में रोड़ा बन सकते हैं.

जिला पंचायत पद पर चुने जाने वाले अध्यक्ष के इतिहास की बात करें तो अभी तक ज्यादातर इस सीट पर सपा का ही कब्जा रहा है. सपा नेता खुद या फिर उनके परिवार की महिलाएं ही जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीतती रही हैं. साल 1995 की बात करें तो इस सीट पर सिरसागंज के सपा विधायक हरिओम यादव की पत्नी राम सखी यादव चुनाव जीतीं. साल 2000 में इस सीट पर तत्कालीन सपा नेता हरिओम यादव खुद चुनाव जीते. साल 2002 में फिर से हुए उप चुनाव में सपा नेता अरविंद यादव की पत्नी गुड्डी देवी जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं. बाद में जिला पंचायत संचलन के लिए तीन सदस्यीय एक कमेटी भी गठित हुई.

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2005 में यह सीट महिला के लिए आरक्षित हुई और सपा विधायक रामवीर यादव की बहन राम सिया अध्यक्ष बनीं. 2010 में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई. बीएसपी विधायक राकेश बाबू के बेटे प्रमोद कुमार जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए. साल 2013 में सपा के पूर्व विधायक रमेश चंद्र चंचल जिला पंचायत अध्यक्ष बने. साल 2015 में यह सीट अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुई और सपा विधायक हरिओम यादव के पुत्र विजय प्रताप अध्यक्ष चुने गए.

2018 में इस सीट पर बीजेपी नेता अमोल यादव अध्यक्ष चुने गए. इस बार फिर समाजवादी पार्टी पूरी कोशिश में है कि इस सीट पर वह एक बार फिर अपना परचम लहराए. सपा नेताओं का दावा है कि जिला पंचायत सदस्यों की जो संख्या है, वह उनके पास है. वैसे इस बार जो सदस्य जीतकर आए हैं उनमें 13 पर सपा, पांच पर बीजेपी, पांच पर बीएसपी और 10 सदस्य निर्दलीय भी चुनकर आए है. निर्दलीयों में सिरसागंज से सपा के निष्कासित विधायक हरिओम यादव की पत्नी राम सखी यादव और बेटा विजय प्रताप सिंह भी शामिल हैं.

जिला पंचायत के इतिहास की बात करें तो जिन सपा नेताओं का अध्यक्ष की सीट पर कब्जा रहा उनमें मुलायम सिंह यादव के समधी और वर्तमान में सिरसागंज से विधायक हरीओम यादव, उनकी पत्नी राम सखी यादव, पुत्र विजय प्रताप यादव शामिल हैं. इस बार भी राम सखी और विजय प्रताप जिला पंचायत का चुनाव जीतकर आए हैं. कई सदस्य अभी भी उनके संपर्क में हैं. लिहाजा अभी भी उन्हें किंग मेकर माना जा रहा है. सपा उन्हें निष्कासित कर चुकी है, इसलिए वह सपा की जीत में रोड़ा बन सकते हैं. 33 सदस्यों वाली जिला पंचायत में अध्यक्ष पद जीतने के लिए 17 सदस्यों की जरूरत है.

इस बारे में ईटीवी भारत ने सिरसागंज विधायक हरिओम यादव से बात की तो उनका कहना था कि सपा ने जो प्रत्याशी उतारा है, उसे लेकर सपा में ही असंतोष है इसलिए वह सपा का समर्थन नहीं करेंगे. गौरतलब है कि मुलायम सिंह, मैनपुरी के पूर्व सांसद तेज प्रताप के बाबा हैं, जबकि हरिओम यादव तेज प्रताप के नाना हैं. मुलायम सिंह यादव सपा के पूर्व अध्यक्ष हैं एवं वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के पिता भी हैं.

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पंचायत चुनाव की बात की जाए तो जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए मतदान 3 जुलाई को होना है. इससे पहले उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में चार चरणों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न कराए गए थे. पहले चरण में 15 अप्रैल, दूसरे में 19 अप्रैल, तीसरे में 26 अप्रैल और चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान हुआ था. दो मई को गिनती शुरू हुई थी और दो दिन चली थी. जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव के बाद अब जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव होना है.

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