फर्रुखाबाद :आज भारत में किसी भी काम को नीची निगाह से नहीं देखा जाता. शायद यही वजह है कि अच्छी शिक्षा प्राप्त लोग भी नौकरी न मिलने की स्थिति में ठेले पर कचौड़ी बेचने से परहेज नहीं कर रहे हैं. कुछ ऐसी ही कहानी फर्रुखाबाद के एक युवक सत्यम मिश्रा की भी है जिन्होंने पारिवारिक परेशानियों के चलते एमबीए प्रथम सेमेस्टर में फेल होने के बाद कचौड़ी का ठेला लगाना शुरू कर दिया है.
इस ठेले से न केवल वह खुद के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं बल्कि अपने साथ दो अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं. अपने ठेले पर उन्होंने लिखवाकर भी रखा है-MBA फेल कचौड़ी वाला. वह कहते हैं कि काम तो काम है. यदि कुछ न मिले तो कुछ तो करना ही चाहिए. अपने ठेले पर उन्होंने MBA फेल कचौड़ी वाला लिखकर यह संकेत भी दे दिया है कि वह अपनी असफलता को सफलता में तब्दील करके दिखाएंगे.
आर्थिक तंगी के चलते नहीं पास कर पाया MBA तो खोल ली कचौड़ी की दुकान, जानें क्या है युवक की कहानी सत्यम कहते हैं कि वह प्रधानमंत्री से काफी प्रेरित हैं. उन्होंने बीएससी पास कर एमबीए में एडमिशन लिया पर पारिवार की आर्थिक तंगी के चलते वह ठीक से पढ़ाई नहीं कर सके. इसके चलते वह फर्स्ट सेमेस्टर में ही फेल हो गया. कुछ दिन मार्केटिंग का काम भी किया पर दूसरे की नौकरी करने की बजाए उन्होंने खुद का रोजगार शुरू करना ज्यादा मुनासिब समझा.
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आर्थिक तंगी के चलते उन्हें कुछ भी नहीं सूझ रहा था तो उन्होंने कचौड़ी की दुकान लगाने की योजना बनाई. अभी एक महीने पहले ही उन्होंने ठेला लगाना शुरू किया. धीरे-धीरे आसपास के लोगों में वे अपने कचौड़ी के स्वाद के चलते काफी प्रसिद्ध भी हो रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि वह एक दिन अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर कर दोबारा MBA की पढ़ाई शुरू करेंगे और इसे पास भी करेंगे.
सत्यम कहते हैं कि रोजगार मांगने से बेहतर है रोजगार दो. कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता. बस करने का जज्बा होना चाहिए. बताते चलें कि सत्यम मिश्रा फर्रुखाबाद जिले की कायमगंज तहसील क्षेत्र के ग्राम दीपुर नगरिया निवासी हैं. ईटीवी भारत की टीम उनकी दुकान पर पहुंची और उनसे बातचीत की. उन्होंने बताया कि वह 6 भाई बहन है. इसमें चार बहनें हैं जिनमें तीन की शादी हो चुकी है.
वह एक भाई और माता-पिता के साथ रहते हैं. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी से वह प्रेरित हैं. अपने साथ-साथ अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं. लोगों को स्वादिष्ट खाना खिला रहे हैं. वही सत्यम की दुकान पर कचौड़ी खा रहे लोग उन्हें शुभकामनाएं भी देते हैं और उनकी कचौड़ी की तारीफ भी करते नहीं थकते.