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फर्रुखाबाद: ओटी में घुसा कुत्ता, परिजनों का आरोप काटने की वजह से हुई नवजात की मौत

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में नवजात बच्चे को कुत्ते द्वारा काटने का मामला सामने आया है. परिजनों का आरोप है कि कुत्ते की काटने की वजह से नवजात की मौत हो गई.

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कुत्ते के काटने की वजह से नवजात की मौत हुई.

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Published : Jan 13, 2020, 7:43 PM IST

फर्रुखाबाद: प्रदेश सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लाख दावे कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत कोसों दूर है. ताजा मामला जनपद फर्रुखाबाद का है. यहां निजी अस्पताल की ओटी में घुसकर एक नवजात बच्चे को कुत्ते द्वारा काटने का मामला सामने आया है. परिजनों का आरोप है कि आंख और सीने में कुत्ते के काटने की वजह से नवजात की मौत हो गई. वहीं पुलिस मामले की जांच करने में जुटी हुई है.

परिजनों का आरोप है कि कुत्ते के काटने की वजह से मौत हुई.

ये है पूरा मामला
भोलेपुर निवासी रवि कुमार की पत्नी कंचन को सोमवार सुबह अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हुई. रवि आनन-फानन में पत्नी कंचन को लेकर आवास विकास स्थित आकाश गंगा हॉस्पिटल पहुंचे. रवि का आरोप है कि अस्पताल स्टाफ ने करीब 10 बजे कंचन का ऑपरेशन किया. कुछ देर बाद डॉक्टर ने आकर बताया कि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. इसके बाद पत्नी कंचन को वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. लेकिन जांच की बात कहते हुए नवजात बच्चे को ऑपरेशन थिएटर में ही रखा गया था, लेकिन अचानक ही ऑपरेशन थिएटर के बाहर हड़कंप मच गया.

स्टाफ नर्स के साथ कुछ लोग कुत्ते को ओटी के बाहर भगाने लगे. लोगों ने बताया कि किसी अनहोनी के चलते अंदर जाकर देखा तो बच्चा जमीन पर खून से लथपथ पड़ा हुआ था और उसकी आंख व सीने में जख्म के निशान थे.

रवि का आरोप है कि कुत्ते के काटने से ही उसके बच्चे की मौत हुई है, जब परिजनों ने अस्पताल स्टाफ पर लापरवाही बरतने की बात कहते हुए हंगामा शुरू किया तो हॉस्पिटल स्टाफ रुपये लेकर समझौते का दबाव बनाता रहा. लेकिन मामले की सूचना कोतवाली पुलिस को होने के बाद डॉक्टर समेत स्टाफ मौके से भाग निकले. वहीं पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

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आपको बताते चलें कि ईटीवी भारत शहर में बड़े पैमाने पर बिना मानकों का ख्याल रखे चल रहे निजी अस्पतालों का मुद्दा पहले ही उठा चुका है, जहां डॉक्टर अपने निजी स्वार्थ के लिए मरीजों की जान की परवाह नहीं करते हैं. हालांकि इस मसले पर स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने ऐसे अस्पतालों के खिलाफ और झोलाछाप डॉक्टरों की जांच कराने का दावा किया था. फिलहाल यह दावे सिर्फ हवा हवाई ही साबित हो रहे हैं.

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