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कोरोना में थम गई शहनाइयों की रवायत, बदल गया शादी का स्टाइल

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ भारत समेत पूरी दुनिया में जंग लड़ी जा रही है. ऐसे में शादी विवाह जैसे कार्यक्रम के लिए शर्तों के साथ छूट मिली है. अब शहनाइयां तो नहीं बज रही लेकिन जैसै-तैसे शादियां जरूर हो रही हैं. यह और बात है कि अब शादी का स्टाइल कुछ बदला सा नजर आ रहा है. अब न बैंड बाजा है और न ही ज्यादा बाराती. कोरोना संकट की इस घड़ी में कैसी दिखती है बिना बैंड बाजे और रोडलाइट की शादी, देखिए हमारी इस खास रिपोर्ट में...

change the way of marriage in farrukhabad
फर्रुखाबाद में कोरोना काल में थमी शहनाइयों की गूंज.

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Published : Jun 28, 2020, 9:30 PM IST

Updated : Jun 28, 2020, 10:13 PM IST

फर्रुखाबाद: देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया. कुछ शर्तों के साथ लॉकडाउन हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई. जब लॉकडाउन लगाया गया तो वह शादियों का खास समय था. सरकार की गाइडलाइंस में शादियों को लेकर भी कुछ शर्तें रखी गई हैं. जिला प्रशासन ने मैरिज पैलेस और अन्य स्थानों पर 50 से ज्यादा लोगों के जमा होने पर पाबंदी लगा दी है. ऐसे में शादियों को लेकर जहां तारीखें बदली जा रही हैं, वहीं कई लोग साधारण तरीके से शादी कर रहे हैं. दरअसल जून के बाद से अक्टूबर तक शादी का कोई मुहूर्त नहीं है.

फाइल फोटो.

बिना बैंड बाजा और रोड-लाइट के हो रही शादियां
कोरोना के चलते शादी और अन्य आयोजन बंद हो जाने के कारण बैंड का कारोबार ठप हो गया है. शादी-विवाह के आयोजनों में भीड़ एकत्र न हो, इसके लिए बैंड-बाजा की परमिशन नहीं दी गई है. बैंड का कारोबार करने वाले सत्तार हुसैन बताते हैं कि जनपद में एक हजार से अधिक बैंड कारोबारी होंगे. उनके यहां 26 मार्च झूलेलाल जयंती से बुकिंग शुरू होनी थी, जो कि इस संकटकाल के चलते नहीं हो पाई. वहीं इसके बाद उनके पास लगातार बुकिंग्स थी.

लाखों का हुआ नुकसान
सत्तार हुसैन ने बताया कि 25 शादी और 6 शोभायात्राओं की बुकिंग रद्द हो गई है. एक शादी की बुकिंग की शुरुआत 15 हजार से होती है. इस सीजन में लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. वहीं जो एडवांस पार्टी ने दिया भी था, अब उसे वापस मांग रहे हैं.

स्पेशल रिपोर्ट...

एक बैंड बुकिंग से मिलता है 40 लोगों को रोजगार
शादी में जब बैंड व रोड लाइट की बुकिंग होती है तो एक कार्यक्रम निपटाने के लिए 40 से अधिक लोगों की जरूरत पड़ती है. बैंड में 27 व लाइटनिंग में 13 से 15 लोग लगते हैं. लोग 6 महीने पहले से ही बैंड की बुकिंग करा लेते थे, मगर इस बार लोग बुकिंग कराने ही नहीं आ रहे हैं. यह लोग पूरी तरह से बैंड से होने वाली कमाई पर आश्रित हैं, लेकिन लाॅकडाउन ने बैंड का सारा कारोबार ही लाॅक करके रख दिया है.

जिले में 600 से अधिक बुकिंग्स कैंसिल
शहर के नामचीन बैंक्वेट हॉल व लाॅन के मालिक हर्षवर्धन कटियार ने बताया कि 26 मार्च से जून के बीच शादी को लेकर कई शुभ मुहूर्त थे, लेकिन लाॅकडाउन के चलते मैरिज पैलेसों व होटलों में शादियों की 600 से भी अधिक बुकिंग्स रद्द कर दी गई हैं. उन्होंने बताया कि हमारे लाॅन में 32 बुकिंग्स थी, लेकिन समय के माहौल को देखते हुए 22 शादियां आगे की तारीख के लिए बढ़ा दी गई हैं, जबकि 10 बुकिंग्स कैंसिल भी हो गई हैं.

फाइल फोटो.

हर्षवर्धन कटियार बताते हैं कि जो एडवांस जमा किया गया था, उसे वापस कर दिया गया है. अब लोग आगे की तारीख के लिए भी एडवांस देने से कतरा रहे हैं, ऐसे में कारोबारी परेशान हैं. उन्होंने बताया कि फर्रुखाबाद में 200 से अधिक लॉन या मैरिज पैलेस हैं. एक सीजन में तकरीबन चार हजार से अधिक शादियां होती हैं. हालांकि लॉन में शादी करने वालों पर पहले करीब साढ़े तीन लाख से चार लाख रुपये खर्च आता था, जिससे उन्हें काफी फायदा होता था और साथ ही लोगों को भी रोजगार मुहैया होता था.

80 प्रतिशत शादियों की बुकिंग्स कैंसिल
पंडित डोरी लाल मिश्र के मुताबिक 30 जून तक लगन है. इस दौरान 35 शुभ मुहुर्त रहे हैं, उनमें से 70 प्रतिशत कैंसिल हो गए हैं. वहीं जो शादी हुई भी है तो वह साधारण तरीके से की गई है. करीब दो से तीन लाख रुपये तक हम पुरोहितों का नुकसान हुआ है और हमारा कोई दूसरा व्यवसाय भी नहीं है, जिससे हमारी आमदनी हो सके.

75 फीसदी हलवाइयों के काम में गिरावट
कैटरर रमेश कुमार के मुताबिक कोरोना के चलते शादी समारोह के साथ-साथ हर तरह के आयोजन बंद हो गए हैं. शादी समारोह रद्द होने से लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. लोगों में खानपान को लेकर भी डर बना हुआ है. आम दिनों की तुलना में 75 प्रतिशत तक काम कम हो गया है. इसकी वजह से भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

फाइल फोटो.

25 करोड़ से अधिक का घाटा
भीड़ न जुटाने वाली प्रशासन की शर्त शादी वाले परिवारों के लिए फायदेमंद हो रही है. इस दौरान मैरिज हॉल, घोड़ा, गाड़ी, बैंड-बाजा, पटाखे, खाना-पीना, बारातियों के स्वागत, टेंट, कार्ड, रोड लाइट्स आदि पर होने वाला लाखों का खर्च बच रहा है. वहीं जानकारों की मानें तो साल 2018-19 में एक सीजन में 23 से 24 करोड़ रुपये का कारोबार शादी व अन्य समारोह के दौरान हुआ था.

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मालियों का हाल बेहाल
भोलेपुर के पास फूलों की दुकानों में शादी के सीजन पर रोजाना 10 से 15 गाड़ियां सजने के लिए आया करती थीं. कभी-कभी तो सड़क संकरी होने की वजह से जाम भी लग जाता था, लेकिन अब इन मालियों की दुकानों पर भीड़ तो क्या कोई झांकने वाला नहीं है. फूलों का व्यवसाय करने वाले रघुनंदन सैनी का कहना है कि पहले 25 से 30 किलो फूलों की बिक्री रोज होती थी, मगर अब 5 किलो फूल बेचने में लाले पड़ जाते हैं.

Last Updated : Jun 28, 2020, 10:13 PM IST

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