इटावा:जनपद के जसवन्तनगर कस्बे में सन 1860 से प्रतिवर्ष हो रही रामलीला का आयोजन इस वर्ष कोरोना काल के चलते नहीं हुआ. 2005 में यूनेस्को ने पूरे विश्व में हो रही 482 रामलीलाओं में जसवंतनगर की रामलीला को सबसे अलग माना क्योंकि यह घुमंतू के साथ-साथ मुखौटों वाली रामलीला है.
मॉरिशस से आई इंद्राणी राम प्रसाद ने भारत में हो रही रामलीलाओं पर शोध किया और पाया कि इटावा के जसवन्तनगर कस्बे की 162 वर्ष पुरानी रामलीला अपने आप में अनूठी रामलीला है. इसके बाद यूनेस्को ने इंडोनेशिया, फिजी, श्रीलंका की रामलीलाओं को देखने के बाद जसवंतनगर की रामलीला को दुनिया की सबसे पुरानी रामलीला माना और इसे विश्व धरोहर का दर्जा दिया. तब से अब तक जसंवतनगर की रामलीला अपने पहले स्थान पर काबिज रही है.
कोरोना के चलते एक ही दिन में खत्म हो गई रामलीला
कोरोना के चलते इस बार कस्बे के नरसिंह मंदिर में राम का राज्याभिषेक कर राम लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न का डोला निकाला गया और इसके बाद रावण का वध कर एक ही दिन में रामलीला का समापन किया गया. इस मौके पर श्रीराम की आरती और रावण का वध करने प्रसपा के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव पहुंचे और उन्होंने तीर चलाकर रावण के वध के साथ रामलीला का समापन किया.