एटा: उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब, हरियाणा व देश के कई हिस्सों में केंद्र सरकार द्वारा पारित विधेयकों का जोरदार विरोध हो रहा है. कृषि सुधार से जुड़े इन विधेयकों को लेकर विपक्ष सरकार पर निशाना साध रही है, किसान संगठन इसका विरोध कर रहे हैं. लेकिन एटा के किसानों को इसकी जानकारी ही नहीं है. ईटीवी भारत ने किसानों की मौजूदा स्थिति को जानने के लिए उनसे बात की. साथ ही यह भी जाना कि किसानों के लिये अभी तक की योजनाओं से उन्हें कितना फायदा पहुंचा है.
केंद्र सरकार ने तीन विधेयक किए पेश
केंद्र की भाजपा सरकार ने कृषि सुधार के दावों के साथ जो तीन नए विधेयक पेश किए हैं, उनका देश भर के कुछ किसान संगठन विरोध कर रहे हैं. किसान संगठनों को विपक्ष में बैठे नेताओं का साथ मिला है. आरोप है कि केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि सुधार विधेयक के लागू होते ही कृषि क्षेत्र में पूंजीपतियों का हस्तक्षेप बढ़ जाएगा. इसका सीधा नुकसान किसानों को होगा.
सरकार की योजनाएं धरातल पर नहीं पहुंचती
केंद्र सरकार द्वारा पारित विधेयकों को लेकर एटा के किसानों से की गई बातचीत में यह बात निकलकर सामने आई है कि मौजूदा समय में जो भी योजनाएं या फिर कानून किसानों के लिए बनाए गए हैं, उससे किसानों की आर्थिक स्थिति में अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ है. किसानों के मुताबिक सरकार योजनाएं तथा कानून तो बनाती है, लेकिन किसानों को इसका सीधा फायदा नहीं मिलता है. खाद से लेकर बीज तक की कालाबाजारी होती है. पूरी योजनाएं धरातल पर नहीं पहुंचती हैं. बिचौलिए किसानों को मिलने वाला फायदा अपने पास रख लेते हैं. जो अनाज पहले महंगे दामों पर बिका करते थे, वह आज आधे से भी कम कीमत में बिक रहे हैं. इससे किसानों की माली हालत और खराब होती जा रही है.