एटा:उत्तर प्रदेश के एटा जिले में प्रशासन की लापरवाही के चलते अलीगंज ब्लॉक के सिकंदर पुर सालवाहन ग्राम पंचायत का गांव रायपुर प्रशासन के कंप्यूटर से ही गायब चल रहा है. किसान जब फर्द निकलवाने जाते हैं तो कंप्यूटर से फर्द जारी नहीं होती है, जिससे किसानों को खासा परेशानी उठानी पड़ती है. वहीं, गांव के किसान लेखपाल द्वारा हस्तलिखित फर्द लेते हैं, जिसका लेखपाल 100 से 200 रुपये तक लेता है और फर्द कम से कम 10 दिनों में मिलती है.
जहां सरकार एक तरफ डिजिटल इंडिया की बात कर रही है. इसी के विपरीत यूपी के जनपद एटा में एक ऐसा गांव है, जो आज तक कंप्यूटर में दर्ज नहीं है. हम बात कर रहे हैं एटा जिले के अलीगंज ब्लॉक की ग्राम पंचायत सिकंदरपुर साल वाहन के गांव रायपुर की, रायपुर गांव कंप्यूटर में दर्ज न होने के चलते किसानों को आज भी हाथों से लिखी हुई फर्द से काम चलाना पड़ रहा है, जिससे किसानों को लेखपाल के चक्कर काटने पड़ते हैं और 10 मिनट के काम में 10 दिन लगते हैं किसानों ने इसमें प्रशासन की घोर लापरवाही बताई है. वहीं किसानों ने लेखपाल द्वारा पैसे लेकर खतौनी निकालने के भी गंभीर आरोप लगाए हैं. किसानों ने बताया कि लेखपाल खतौनी निकालने का 100 रुपये लेता है, तब कही 10 दिन में हाथ से लिखी हुई खतौनी मिलती है, जिसे रजिस्ट्रार द्वारा पास कराया जाता है. उसके बाबजूद भी यह सरकारी योजनाओं व अन्य कार्यो के उपयोग में लेने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है.
रायपुर गांव के किसान ध्रुव सिंह ने ईटीवी से बात करते हुए बताया कि हमारे गांव की समस्या बहुत गंभीर है, अगर इमरजेंसी में फर्द की आवश्कता पड़े तो नहीं निकल सकती है. जिसका मुख्य कारण है कि हमारा गांव रायपुर प्रशासन के कंप्यूटर में ही दर्ज नहीं है. जब हमें फर्द की आवश्कता पड़ती है तो लेखपाल के चक्कर काटते रहते हैं तब कहीं 10 से 15 दिन में हाथ से लिखी हुई फर्द मिलती है. जिसके बाद जिले के रजिस्ट्रार के यहां से पास भी करानी पड़ती है. प्रशासन को इस बारे में कई बार अवगत भी कराया गया फिर भी मामला जस के तस रहा.