चित्रकूट: भारत में प्रदेशों के सरहदी बंटवारे ने चित्रकूट को दो भागों में बांट दिया गया है, जिसमें धर्म नगरी चित्रकूट पहुंचने वाले भक्तों को खासा परेशानियों का सामना उठाना पड़ता है. वही संत साधु संतों का मानना है कि चित्रकूट को फ्री जोन घोषित करना विकास की दृष्टि से उचित होगा.
पढ़िए पूरा मामला
चित्रकूट में स्थित कामदगिरि पर्वत का कुछ हिस्सा उत्तर प्रदेश की सीमा में है तो कुछ हिस्सा मध्य प्रदेश की सीमा है. दरअसल 14 वर्ष के वनवास काल के दौरान भगवान श्रीराम ने चित्रकूट में साढ़े 11 वर्ष बिताए थे. भगवान श्री राम ने इसी कामदगिरि पर्वत की पूजा की और वरदान दिया कि जो भी भक्त सच्चे मन से इस पर्वत की पूजा करेगा उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी. इस पर्वत पर बने कामतानाथ मंदिर में भक्त अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए पहुंचते हैं. पहले न तो प्रदेशों की सीमाएं थी और ना ही सीमाओं का बंधन.
दो भागों में बांटा गया चित्रकूट
राजा रजवाड़े खत्म होने पर भारत को प्रदेशों में बांटा गया. इस दौरान धर्म नगरी चित्रकूट को भी दो भागों में बांट दिया गया, जिसमें कुछ हिस्सा उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में आया तो कुछ हिस्सा मध्य प्रदेश के चित्रकूट के जिला सतना में पहुंच गया. दो प्रदेशों की सीमाओं में बटी धर्म नगरी के चलते आने जाने वाले तीर्थ यात्रियों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है. ऐसा नहीं कि धर्म नगरी चित्रकूट में पहुंचने वाले भक्त ही यह चाह रहे हैं कि चित्रकूट को एक ही प्रदेश में होना चाहिए, बल्कि समय-समय पर चित्रकूट के साधु महात्माओं द्वारा भी यह मांग होती रही है कि चित्रकूट को सीमाओं के बंधन से मुक्त होना चाहिए.
यूपी-मध्यप्रदेश में चित्रकूट के तीर्थस्थल