बुलंदशहर:देश-दुनिया में इस वक्त वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से कोई भी कार्य क्षेत्र ऐसा नहीं है, जो प्रभावित न हुआ हो. अगर बात की जाए कोचिंग सेंटर्स की तो कोरोना काल में कोचिंग सेंटर और उनसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों को न सिर्फ काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है, बल्कि उनके सामने रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है.
मार्च में लगा था लॉकडाउन
कोरोना महामारी ने जब दस्तक दी तो उसके बाद से लग रहा था कि शायद इस बीमारी पर जल्द ही जीत हासिल कर ली जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद लॉकडाउन लगा दिया गया. लॉकडाउन लगने के बाद कोचिंग सेंटर्स को भी पूरी तरह से बंद कर दिया गया. जब इनका एक बार शटर नीचे आया तो फिर अब तक वह शटर नहीं खुल पाया. ऐसे में कई लोग बेरोजगार हो गए. इतना ही नहीं, नामी-गिरामी कोचिंग सेंटर हो या फिर स्थानीय क्षेत्रीय कोचिंग सेंटर, सभी के लिए यह कोरोना काल काफी दिक्कतों भरा रहा है. वहीं कुछ कोचिंग संस्थान तो अपना सामान ही समेटकर चले गए हैं.
बुक सेलर्स पर भी लॉकडाउन का असर
कोरोना संकटकाल का असर बुक सेलर्स पर भी पड़ा है. ईटीवी भारत ने कुछ बुकसेलर्स से भी बात की तो उनका कहना है कि अब मार्केट में सिर्फ 10 फीसदी ही काम बचा है. वर्तमान में विद्यालय नहीं खोले जा रहे हैं. जो छुट्टी का समय होता था, उसमें स्टूडेंट्स कोचिंग सेंटर में अतिरिक्त पढ़ाई किया करते थे. कुछ छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी किया करते थे तो उनकी भी कुछ कमाई हो जाती थी, लेकिन अब प्रतियोगी परीक्षाओं से सम्बन्धित किताबें बिल्कुल नहीं बिक पा रही हैं. कोंचिंग संचालक हों या फिर पुस्तक विक्रेता, सभी की मानें तो उन्हें खुद भी फिलहाल ऐसी उम्मीद नजर नहीं आ रही है कि जल्द ही सब कुछ सामान्य हो जाएगा.