बुलंदशहर : रेलवे के बहुआयामी प्रोजेक्ट 'ईस्टन डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर' में दिन-प्रतिदिन देरी होती जा रही है. इसकी बड़ी वजह किसानों का आंदोलन है. किसानों का कहना है कि उनको पूर्व में दिया गया मुआवजा काफी कम था. इसलिए जब तक उन्हें उचित और अधिक मुआवजा नहीं मिल जाता, वह आंदोलन करते रहेंगे.
किसानों के आंदोलन के कारण अधर में लटका ईडीएफसी प्रोजेक्ट
जनपद में किसान आंदोलन के चलते रेलवे के 'ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर' प्रोजेक्ट में देरी हो रही है. इस प्रोजेक्ट के लिए 2008 में पहले भूमि अधिग्रहण के लिए सर्वे की कार्रवाई शुरू हुई थी और 2011 में किसानों से जमीन अधिग्रहित भी की गई थी. उसके बाद लगातार किसान अपनी जमीन पर खेती करता रहा और लंबे समय के बाद रेलवे का प्रोजेक्ट शुरू हुआ तो किसान बढ़े हुए मुआवजे की मांग करने लगे.
प्रशासन ने कई बार किसानों और रेलवे के अफसरों के बीच मध्यस्थता कराने की कोशिश भी की, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. अभी तक किसान आंदोलन की राह पकड़े हुए हैं. 'डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर' जिले के सिकंदराबाद और खुर्जा तहसील के करीब दो दर्जन गांवों से निकलेगा.
इतना ही नहीं प्रभावित क्षेत्र के किसानों और प्रशासन के बीच कई बार तीखी नोंकझोंक तक भी हुई. आंदोलन करने वाले किसानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो चुकी है और अन्नदाताओं को जेल तक जाना पड़ा है. जिससे किसान और अधिक आक्रोशित हो गया है.
किसान लगातार अनवरत धरना सामूहिक तौर पर दे रहे हैं. क्षेत्र के किसानों का कहना है कि रेलवे और प्रशासनिक अधिकारियों ने किसानों को गुमराह किया है. किसान नेता बताते हैं कि 2008 में करीब 22 गांवों के लोगों के साथ वायदे किये गए. जिनमें उनसे खुली बैठक में बुजुर्ग परिवार के मुखिया को पेंशन ,और एक परिवार में एक सदस्य को नौकरी देने तक का वायदा किया था और 2011 में मुआवजा दिया गया जो कि काफी कम था.
वहीं किसानों के विरोध के बाद फिलहाल अभी तक यह प्रोजेक्ट अटका हुआ है. अपर जिलाधिकारी प्रशासन रविन्द्र कुमार का कहना है कि किसानों की जो भी मांगें हैं, उन्हें पूरा करने के लिए प्रयास किया जाएगा. किसानों और रेलवे अधिकारियों के बीच जल्द से जल्द बातचीत कराई जाएगी और उनका प्रयास रहेगा कि प्रोजेक्ट में देरी न हो.