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कृषि कानून, निजीकरण और महंगाई पर क्या बोली बिजनौर की जनता, जानिए... - बिजनौर में चुनावी चौपाल

बिजनौर का चुनावी मूड जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने जनता से बात की. कृषि कानून, निजीकरण और महंगाई को लेकर लोगों ने खुलकर बेबाक राय रखी. सरकार के कामकाज को लेकर भी लोगों ने अपना नजरिया रखा. चलिए जानते हैं इस बारे में...

बिजनौर की जनता ने रखी ऱाय.
बिजनौर की जनता ने रखी ऱाय.

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Published : Sep 27, 2021, 1:07 PM IST

बिजनौरः यूपी के बिजनौर का चुनावी मूड जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने जनता से बात की. लोगों ने कहा कि पेट्रोल व डीजल की कीमत से वे परेशान हैं. महिलाओं ने सिलेंडर के दामों में वृद्धि को लेकर नाराजगी जताई. कहा, महंगाई के कारण खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ रहे हैं. कोरोना के बाद से बेरोजगारी में इजाफा हो रहा है. बढ़ती महंगाई के कारण घर का खर्च चलाना और बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो रहा है. वहीं, जब कृषि कानून को लेकर जनता से सवाल किए गए तो उन्होंने कहा कि इससे किसानों का नुकसान होगा. पूंजीपति किसानों का शोषण करेंगे.

सरकारी मंडियों को निजीकरण में देने को लेकर भी जनता ने विरोध जताया. जनता का कहना है कि कृषि कानून अगर लागू किया जाता है तो इससे सबसे ज्यादा फायदा पूंजीपतियों को होगा और आम जनता और किसान इस कानून में पिसती नजर आएगी. साथ ही लोगों ने पोर्ट समेत अन्य सरकारी संस्थानों के निजीकरण को लेकर भी कड़ी नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि हाल में ही गुजरात के मुद्रा पोर्ट में हजारों करोड़ की अफीम पकड़ी गई थी. इस पोर्ट का निजीकरण हो चुका है. सरकार का इसमें कोई दखल ही नहीं रह गया है. अब ऐसी घटनाएं सामने आने लगेंगी. इस कारण निजीकरण ठीक नहीं है.

ईटीवी की टीम ने जाना बिजनौर का चुनावी मूड.

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जनता ने गन्ने के हाल में बढ़ाए गए मूल्य के बारे में कहा कि 4.5 साल में गन्ने की कीमत नहीं बढ़ाई गई. गन्ना मिल मालिकों ने 14 दिनों में गन्ने का भुगतान करने की बात कही थी, वह वादा भी पूरा नहीं हुआ. अब चुनाव नजदीक आ रहे हैं तो गन्ने का मूल्य बढ़ाया गया है. किसान इसके चक्कर में नहीं फंसेंगे. वहीं, लोगों ने कहा कि प्रदेश की बेरोजगारी दूर करने के लिए भी कोई कारगर कदम नहीं उठाए गए. महंगाई को लेकर महिलाओं ने कड़ी नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि सरकार को कम से कम सिलेंडर समेत अन्य जरूरी चीजों के दाम नियंत्रित रखने चाहिए थे. सिलेंडर काफी महंगा हो चुका है. इससे घर का बजट और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. लोगों का कहना है कि इस बार वे सोच-समझकर वोट डालेंगे.

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