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बस्ती: प्रमुख सचिव स्वास्थ्य बोले, डॉक्टर वापस नहीं आए तो नये की होगी तैनाती

उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य देवेश चतुर्वेदी ने संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम को लेकर मण्डलीय समीक्षा बैठक की. इस दौरान उन्होंने कई निर्देश दिए.

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Published : Sep 5, 2019, 12:14 PM IST

प्रमुख सचिव चिकित्सा कि मण्डलीय समीक्षा बैठक

बस्ती:प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने मण्डलीय समीक्षा बैठक में जेई, एईएस, डेंगू समेत अन्य संचारी रोगों के रोकथाम के लिए बनाई गई योजनाओं पर चर्चा की. संचारी रोगों की रोकथाम के लिए जो अभियान चल रहे हैं, उसका तीसरा चरण 2 सितम्बर से शुरू हुआ है. गोरखपुर और बस्ती मण्डर जेई और एईएस के लिए सबसे ज्यादा सेंसेटिव माने जाते हैं. 2018 से 2019 तक इन अभियानों का अच्छा प्रभाव पड़ा है. अभियान धीमा न हो इसलिए हम लोगों ने यह समीझा बैठक की. इसके अलावा प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने जिला अस्पताल का निरीक्षण भी किया.

प्रमुख सचिव चिकित्सा कि मण्डलीय समीक्षा बैठक

मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ने ये दिए निर्देश
मण्डल के 36 डाॅक्टरों को बर्खास्त करने की कार्रवाई करने के लिए प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण देवेश चतुर्वेदी ने निर्देश दिए हैं. आयुक्त सभागार में आयोजित समीक्षा बैठक में बस्ती और सिद्धार्थनगर के सीएमओ से अनुपस्थित डाॅक्टरों के संबंध में रिपोर्ट तलब की है. उन्होंने कहा कि अगर ये डाॅक्टर ड्यूटी पर वापस नहीं आते हैं तो इन्हें बर्खास्त कर नये डाॅक्टर तैनात किए जाएंगे. उल्लेखनीय है कि ये डाॅक्टर अपनी नियुक्ति के समय से ही अनुपस्थित चल रहे हैं, जिसके कारण इनकी जगह नये डाॅक्टरों की तैनाती नहीं हो पा रही है.

नये आशाओं की भर्ती
प्रमुख सचिव ने समीक्षा में पाया कि बस्ती में 15 तथा सिद्धार्थ नगर में 21 डाॅक्टर अपनी तैनाती के समय से ही अनुपस्थित चल रहे हैं. इनको नोटिस जारी करने के बाद भी ये वापस काम पर नहीं आए. प्रमुख सचिव ने बस्ती में 70 निष्क्रिय आशाओं को न हटाने के बावत सीएमओ से पूछा. मिशन निदेशक द्वारा स्पष्ट निर्देश दिये जाने के बावजूद भी पिछले 8 माह से इन निष्क्रिय आशाओं को अभी तक क्यों नहीं हटाया गया. इनके निष्क्रिय रहने से स्वास्थ्य योजनाएं प्रभावित हो रही हैं.

उन्होंने मण्डल के सभी सीएमओ को निर्देश दिया कि निष्क्रिय आशाओं को हटा कर नये आशाओं की भर्ती कराएं. बस्ती मण्डल में संचारी रोग नियंत्रण अभियान के दौरान अच्छा काम हुआ है, जिसके परिणाम स्वरूप यहां जेई/एईएस के केस कम आए हैं. मृत्यु भी कम हुई है. इसकी चर्चा न केवल देश में बल्कि विदेश में भी हुई है. समीक्षा में उन्होंने पाया कि वर्ष 2019 में अभी तक एईएस के 116 केस हुए हैं और 6 की मृत्यु हुई है, शेष का समुचित इलाज किया गया है. वर्ष 2018 में कुल 120 केस हुए थे और 19 की मृत्यु हुई थी.
शिक्षा विभाग की विशेष भूमिका
प्रमुख सचिव ने कहा कि संचारी रोग नियंत्रण अभियान में शिक्षा विभाग की विशेष भूमिका है. शिक्षक यदि छात्र-छात्राओं को अच्छी प्रकार से साफ-सफाई एवं स्वच्छता के प्रति सजग कर दे तो आने वाले कुछ समय में अभियान चलाने की आवश्यकता नहीं रह जाएगी. छात्र-छात्राओं को जेई/एईएस, डेंगू, स्वाइन फ्लू आदि के लक्षण एवं बचाव के तरीके बता दिए जायं तो वे स्कूल एवं घर में इसका प्रयोग जरूर करेंगे. उदाहरण दिया कि दिल्ली में बच्चों ने ही दीपावली के अवसर पर पटाखे दागने से मना किया था.

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