बस्ती : मनरेगा योजना के नाम पर लूट मची हुई है, जिसको जहां भी मौका मिल रहा है अपनी जेबें गर्म कर ले रहे है. कोई भी ऐसी जांच नहीं जिसमें घोटाला सामने न आया हो. ये अलग बात है कि जांच रिपोर्ट के अनुसार कार्रवाई नहीं होती. कुछ इसी तरह का मामला जिले के विकासखंड बहादुरपुर के ग्राम पंचायत जलालपुर में देखने को मिला. इस गांव में मनरेगा के तहत करोड़ों रुपए का बंदरबांट कर लिया गया जिसकी विस्तृत जांच होने के बाद ब्लॉक के तकनीकी सहायक और रोजगार सेवक को बर्खास्त कर दिया गया. साथ ही सेक्रेटरी के वेतन वृद्धि पर फिलहाल रोक लगा दी गई है.
475 करोड़ की मनरेगा योजना में जमकर लूट. दरअसल जिले में पिछले 19 महीनों में मनरेगा के तहत 4 अरब 75 करोड़ खर्च कर दिए गए. मगर सिर्फ सरकारी आंकड़ों में मनरेगा मजदूरों को कागजों ने काम मिल रहा. फिलहाल एक बैठक में जिले के जनप्रतिनिधियों ने जब इस महाघोटाले पर आवाज मुखर की तब जाकर मनरेगा के मद में सर्वाधिक धन खर्च करने वाले 72 गांवों के कामों की जांच के लिए 14 अधिकारियों की टीम बनाई गई है.
475 करोड़ की मनरेगा योजना में जमकर लूट. सबसे अधिक घोटाला बनकटी और कूदरहा ब्लॉक में देखने को मिला है. इन दोनों ब्लॉक में 57 से 58 करोड़ खर्च किए गए. इसके बाद भी इस ब्लॉक का कोई भी ऐसा गांव विकास के मामले में आगे नहीं है. इतना ही नहीं प्रधान के कार्यकाल खत्म होने से 15 दिन पहले जिले के सभी ब्लॉकों के बीडीओ ने 10 करोड़ से अधिक का भुगतान आनन-फानन में कर दिया है.
475 करोड़ की मनरेगा योजना में जमकर लूट. मनरेगा के तहत जो भी कार्य कागजों में दिखाए गए हैं. उसका सत्यापन अगर ठीक ढंग से हो जाए तो कई अधिकारी निश्चित तौर पर जेल में नजर आएंगे. एक-एक गांव में 2 करोड़ रुपए तक मनरेगा के तहत खर्च किए गए हैं. बावजूद इसके वह गांव आज भी विकास के मामले में पिछड़े नजर आते हैं. वहीं अब मनरेगा घोटाले को लेकर सांसद, विधायक सहित एमएलसी ने भी आवाज उठाई है. इन्होंने सरकार से जांच कर दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है.
सांसद हरीश द्विवेदी ने मनरेगा घोटाले को लेकर डीएम को जांच टीम बनाकर कार्रवाई करने को कहा है. वहीं बीजेपी विधायक संजय जयसवाल ने भी मनरेगा को लेकर मुख्यमंत्री से जांच कर कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है. इसके बाद बीजेपी के ही एमएलसी देवेंद्र सिंह के प्रतिनिधि हरीश सिंह ने भी मनरेगा मद में खर्च हुए 400 करोड़ की योजना को बेचने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका की जांच कर कार्रवाई की मांग की है.
वहीं मनरेगा घोटाले को लेकर जब हमने बस्ती मंडल के कमिश्नर अनिल सागर से बात की तो उन्होंने कहा कि मनरेगा की मॉनिटरिंग समय-समय पर की जाती है. अगर कहीं भी शिकायत मिलती है कि मनरेगा से कराए गए कार्यों की गुणवत्ता सही नहीं है या फिर काम न होने के बाद भी भुगतान हो गया तो इसकी विस्तृत जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई होती हैं. उन्होंने कहा कि माननीयों ने मनरेगा के मद में खर्च हुए धन को लेकर भी जांच की मांग की है, जिस पर कार्रवाई हो रही है.