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घर से लेकर घाट तक, छठ मैया के द्वार तक: महापर्व का माहौल

यूपी के बस्ती में दिवाली के बाद घर से घाट तक छठ महापर्व का माहौल बन गया है. घर की महिलाएं छठ मैया का प्रसाद और घाट पर बेदी तैयार करने में जुट गई हैं. शुक्रवार से नहाय खाय के साथ यह पर्व शुरू हो चुका है, जो 3 नवंबर तक चलेगा.

3 नवंबर तक चलेगा छठ का महापर्व.

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Published : Nov 1, 2019, 6:42 PM IST

बस्ती: दिवाली के बाद घर से घाट तक छठ महापर्व का माहौल है. घर की महिलाएं छठ मैया का प्रसाद और घाट पर बेदी तैयार करने में जुट गई हैं. शुक्रवार से नहाय खाय विधि के साथ यह पर्व शुरू हो चुका है, जो 3 नवंबर तक चलेगा.

देश में छठ मैया का त्योहार
पहले सिर्फ बिहार तक सीमित यह पर्व देश के काफी हिस्सों में बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाने लगा है. इसके साथ नदियों और तालाबों के किनारे लोगों की भीड़ जुटना शुरू हो गई है. घरों में भी छठ मैया के उत्सव के तैयारी शुरू हो गई है. माताएं संतान के मंगल जीवन की कामना के लिए 3 दिनों तक लगातार आराधना करेंगी. पूजा के विविध विधान है. मैया की बेदी से लेकर डलिया तक सजाई जा रही है. यह पर्व अपनी लोक संस्कृति का वाहक भी बनता है. इसमें भक्ति है, श्रद्धा है, तो लोग कल्याण भी.

3 नवंबर तक चलेगा छठ का महापर्व.
पूजा के लिए सजी डलिया
पूजा की डलिया में एक अनाज, पकवान, सुपा, हल्दी के पौधे, सिंघाड़ा जैसी दैनिक उपयोग की वस्तुएं माता रानी की आराधना में रहती हैं. महिलाएं 3 दिनों तक उपवास रखकर कठिन तपस्या करती है. इस अंचल में भी पूरब के लोगों की दस्तक ने छठ पर्व का महत्ता को बढ़ा दिया है. जनपद के अमहट घाट और निर्मल कुंड पर छठ पर्व का मेला लगता है. यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं.

छठ पूजा का महत्व
घाट पर मौजूद महिलाओं ने बताया कि छठ पूजा का बहुत महत्व है. इस पूजा को करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. 14 साल से लगातार व्रत कर रही महिला ने बताया कि अभी तक हम ने जो मांगा है, सब पूरा हुआ है. उन्होंने बताया कि पीढ़ी दर पीढ़ी महिलाएं व्रत रखती हैं और छठ पूजा करती हैं.
सारी व्यवस्था है तैयार
छठ पूजा को लेकर प्रशासन ने भी तैयारियां कर ली है. लोगों के सुविधानुसार लाइट की व्यवस्था और महिला और पुरुषों के लिए शौचालय की व्यवस्था भी कराई गई है. शनिवार शाम व्रत करने वाले सूर्य डूबने के पहले घाट पर पहुंच जाएंगे और शुभ मुहूर्त में जल में खड़े होकर अर्घ्य देंगे. वहीं अगले दिन सुबह उसी जगह उगते सूर्य को भी अर्घ्य देंगे.

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