बरेली:मन में कुछ करने की दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो हर काम संभव है. वैश्विक महामारी कोरोनावायरस ने एक ओर जहां मानव जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है तो वहीं कारोबार भी ढप पड़े हैं. कोरोनाकाल में लोगों को जहां नौकरी तक से हाथ धोना पड़ा है तो वहीं जिले की चार अलग-अलग स्वयं सहायता समूहों से जुड़ीं करीब 35 महिलाओं ने आपदा को अवसर में बदल दिया. स्वयं सहायता समूह से जुड़ी यह महिलाएं सभी गांव की कुछ महिलाओं के साथ मिलकर लोहे के कटीले तारों और जाली बनाने का काम कर रही हैं.
कटीले तारों को आकार देकर आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं
बरेली जिले के बिथरी चैनपुर ब्लॉक अंतर्गत गांव भगवतीपुर की महिलाएं कटीले तार की जालियां बनाने का काम कर रहीं हैं. इस सखी समूह में चार अलग-अलग समूह की 35 महिलाएं जुड़ीं हैं.
जिले के बिथरी चैनपुर ब्लॉक अंतर्गत गांव भगवतीपुर की महिलाओं ने यहां अपने सपनों को उड़ान देने का हौंसला दिखाया है. अलग अलग 4 समूहों से जुड़ीं 35 महिलाओं ने आपदा को अवसर में बदला है. यह महिलाएं कटीले तार, फैंसिंग वायर आदि तैयार कर रही हैं. गांव की महिलाओं का कहना है कि वह अलग-अलग समूह से जुड़ी थीं, लेकिन कोरोना काल के समय रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया. परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी. हम सभी महिलाओं ने N R L M (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) की ब्लॉक मिशन मैनेजर कविता गंगवार से कुछ काम शुरू कराने की मांग की. समूह सखी के तौर पर जिम्मेदारी निभा रहीं मृदुला कहती हैं कि उन्होंने 4 समूहों से चर्चा की तो सभी ने पैसा इकट्ठा किया और बंद पड़ी औद्योगिक इकाई को लेकर काम शुरू कर दिया.
उनका अनुभव काम आया और स्वयं सहायता समूहों ने आपस में सरकार की तरफ से मिलने वाली सहयोग राशि को इकट्ठा किया और लोहे के कटीले तार बनाने के काम में जुट गईं. उन्होंने सभी को पहले ट्रेंड किया, अब ये सभी यहां तार बना रही हैं. इस काम से गांव की महिलाएं बहुत खुश हैं. समूह की इन गांव की महिलाओं ने बताया कि जिले के अधिकारियों ने भी उनके काम की सराहना की है. साथ ही अभी लोकल स्तर पर तैयार माल बिक्री हो रहा है. खुद भी लोग उनसे संपर्क करके खरीदारी करने आते हैं.