हरदोई: जिले में लगने वाला मेला सैकड़ों वर्ष पुराना है. इस मेले में कुछ ऐसी दुकानें भी हैं, जिनका इतिहास सौ वर्ष से भी ज्यादा पुराना है. इस मेले में सबसे पुरानी दुकान बरेली की है, जो कि सौ वर्षों पुरानी है. ये दुकान बरेली के मशहूर सुरमे की है, जो इस ऐतिहासिक नुमाइश मेले में तब से लग रही है, जब से इस मेले की शुरुआत हुई है. ये नुमाइश मेला राष्ट्रीय एकता और हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक भी हमेशा से रहा है. इसमें मौजूद मोहम्मद हाशमी की सुरमे की दुकान इस मेले की गंगा जमुनी तहजीब को बरकरार रखने में एक अहम किरदार निभाती आई है. इस मेले में अधिकांश दुकानें हिन्दू समुदाय से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोगों की हैं.
कौमी एकता की मिसाल है सुरमे की दुकान
हरदोई जिले में आयोजित होने वाले 112 वर्ष पुराने नुमाइश में मेले में कुछ ऐसी दुकानें मौजूद हैं, जो इस मेले को ऐतिहासिक बनाती हैं और कौमी एकता को कायम रखे हुए हैं. ये दुकान है बरेली के मशहूर सुरमे की, जिसको मोहम्मद हाशम के पारिवारिक जन चलाने का काम कर रहे हैं. इस मेले में मौजूद मुस्लिम समुदाय के दुकानदारों में से ये सबसे पुराने दुकानदार हैं, जिनका सुरमा पूरे प्रदेश में मशहूर है. ये इस क्षेत्र के एक बड़े व्यापारी हैं, लेकिन उनके दादा और पिता ने इस मेले में करीब सौ वर्ष पूर्व आना शुरू किया था. इस प्रथा को आज भी उनके पुत्र और सुपौत्र आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं.