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मदर्स डेः एक मां है दिव्यांग बेटी के हौसलों की उड़ान, हर पल रहती है साये की तरह संग

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में दिव्यांग युवती के मन में मां ने ऐसा आत्मविश्वास भरा कि उसने हाथ-पैर नहीं चलने के बावजूद नीट की परीक्षा तक क्लीयर कर ली.

बरेलीः
बरेलीः

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Published : May 9, 2021, 4:52 PM IST

बरेलीःरविवार को मदर्स डे पर तमाम लोग अपनी मां को बधाइयां दे रहे हैं. कोई वाट्सएप स्टेटस लगा रहा है, कोई सोशल मीडिया पर अपनी मां की तस्वीर शेयर कर रहा है. स्वाभाविक है, मां ही तो है, जो बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए हर पल तत्पर रहती है. बरेली जिले में एक ऐसी मां है, जो अपनी बेटी के दिव्यांग होने पर भी उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रहती है. दिव्यांगता को उसकी सफलता की राह में बाधा नहीं बनने देती. यह मां अपनी 20 साल की बेटी के लिए हाथ-पैर से लेकर सबकुछ है. वह मां अपनी दिव्यांग बेटी के दैनिक दिनचर्या के कामों से लेकर, उसकी पढ़ाई-लिखाई में मदद करती है. पूरी कोशिश रहती है कि दिव्यांग बेटी को यह एहसास ना हो कि वह कुछ नहीं कर सकती. दिव्यांग बेटी ने मां की मेहनत के बल पर ही 2020 में नीट की परीक्षा पास की.

महिमा का संबल है मां

सेरिवल पैलसी से ग्रसित
बरेली के आईवीआरआई में जॉब करने वाले शैलेंद्र शाह की 20 वर्षीय बेटी महिमा सेरिवल पैलसी बीमारी से ग्रसित हैं. बीमारी के कारण उनके हाथ और पैर काम नहीं करते. वह पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हैं. महिमा की मां स्मिता शाह हाउस वाइफ हैं. वह हर पल अपनी दिव्यांग बेटी का साया बनी रहती हैं. महिमा अपनी बीमारी के चलते अपने हाथ से एक कॉपी का पेज भी नहीं उठा सकतीं.

दिव्यांग बेटी के हाथ-पैर हैं उसकी मां स्मिता
दिव्यांग महिमा की मां स्मिता शाह अपनी बेटी के एक इशारे पर उसकी बात समझ जाती हैं. स्मिता अपनी बेटी महिमा की दिनचर्या के कामों से लेकर उसके खान-पान, पढ़ाई लिखाई के सभी कामों में मदद करती हैं. वह अपनी बेटी के साथ एक साए की तरह रहती हैं. बस बेटी के इशारा करते ही उसके बताए हुए कामों को मां स्मिता पल भर में कर देती हैं.

महिमा का संबल है मां
महिमा के हौसलों की उड़ान हैं उसकी मांमहिमा के दिव्यांग होने के बावजूद उसके हौसलों में कोई कमी नहीं है. उसके हौसलों की उड़ान हैं उसकी मां स्मिता. वो हर पल अपनी बेटी के मन में नई-नई उम्मीद जगाती हैं. मां के हौसलों की बदौलत ही दिव्यांग महिमा ने राइटर की मदद से 2020 में नीट की प्रवेश परीक्षा पास कर ली थी. इंटरमीडिएट में 80 परसेंट मार्क्स लाकर ये दिखा दिया कि वो किसी से कम नहीं हैं. महिमा के हौसले बुलंद हैं और आगे बढ़कर देश का नाम रोशन करने की चाहत है.
महिमा का संबल है मां


मां ने दिया साहस
दिव्यांगता के कारण महिमा ना तो ठीक से बोल पाती हैं और ना ही अपनी कॉपी का एक पन्ना भी पलट पाती हैं, लेकिन मां के दिए आत्मविश्वास और साहस से कई काम करने में समर्थ हो सकी हैं. महिमा अपनी नाक से टच कर मोबाइल फोन और लैपटॉप चलाती हैं.

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ये बोलीं महिमा...
महिमा कहती हैं कि आज वह जो कुछ भी हैं, वह अपनी मां स्मिता की बदौलत हैं. उनकी मेहनत उनकी लगन, उनके प्यार के बल पर वो आज हर मुश्किल को आसान करने की हिम्मत रखती हैं. उसकी मां ही उसकी सांसे हैं, उसके जीवन का डोर हैं.

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