बाराबंकी:संगीत (Music) के महत्वों को समझते हुए 21 जून कोविश्व संगीत दिवस 2021(World Music Day 2021) मनाया जाता है. संगीत न केवल लोगों के बीच भावनात्मक लगाव (Emotional Attachment) पैदा करता है, बल्कि इससे तमाम रोग भी दूर होते हैं. भले ही विश्व संगीत दिवस मनाने की शुरुआत फ्रांस से हुई हो, लेकिन हिंदुस्तान के संगीत की जो पहचान है वो शायद ही किसी देश की हो. भारतीय संगीत के आगे पाश्चात्य संगीत फीका नजर आता है.
दो दशकों से सिखा रहे संगीत
साल 1998 से संगीत की शिक्षा दे प्रभात दीक्षित रहे प्रभात दीक्षित बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही गाने का शौक था. बचपन में अपने घर पर वह टेबल बजाकर गुनगुनाया करते थे. जैसे-जैसे बड़े हुए ढोलक (Dholak) पर उनके हाथों की थाप गूंजने लगी और आज ढोलक की ताल उनके हिसाब से चलती है. यही नहीं, उन्होंने ढोलक की तालों को गिनतियों में परिवर्तित कर कई विधाएं तैयार कर डालीं. प्रभात दीक्षित ने भातखंडे संगीत विद्यापीठ (Bhatkhande Sangeet Vidyapeeth) से संगीत का कोर्स किया. इसके बाद बच्चों को संगीत सिखाना शुरू कर दिए.
लगभग 5 हजार बच्चे सिख चुके संगीत
बाराबंकी के घंटाघर के पास प्रभात दीक्षित 1998 से अपने घर में ही बच्चों को संगीत सिखा रहे हैं. अब तक लगभग 5 हजार बच्चे उनसे संगीत सिख चुके हैं. प्रभात ढोलक के साथ-साथ हारमोनियम (Harmonium) बजाने के भी मास्टर हैं. वह लखनऊ के भातखंडे संगीत विद्यापीठ में भी ढोलक सिखाने जाते थे. इनके द्वारा सिखे छात्रों ने टैलेंट हंट, फोक जलवा, स्टार अप अवध जैसे कई बड़े प्लेटफार्म पर अपना जलवा बिखेरा है. प्रभात बताते हैं कि वे गीत खुद लिखते हैं और फिर उसी के हिसाब से संगीत भी तैयार करते हैं. यही वजह है कि वर्ष 2012 में जिला प्रशासन ने इनके गाये मतदाता जागरण गीत को अपने प्रचार में शामिल किया था.
कोरोना से लड़ने में संगीत ने निभाई अहम भूमिका