बाराबंकीः जनपद का जिला अस्पताल मिर्गी रोग को लेकर खासा सतर्क है. मरीजों की तादाद देखते हुए अस्पताल में स्थापित विशेष यूनिट के डॉक्टर इस बीमारी से बचाव के लिए न केवल लोगों का इलाज कर रहे हैं बल्कि लोगों की काउंसलिंग कर उनको जागरूक भी कर रहे हैं. जिले में हर महीने तकरीबन 60-70 रोगी अपना इलाज कराने पहुंच रहे हैं. बीमारी की गम्भीरता को देखते हुए एक्सपर्ट डॉक्टर लोगों को अंधविश्वास से दूर रहने के लिए भी प्रेरित कर रहे है.
राष्ट्रीय मिर्गी दिवस विशेष: अंधविश्वास नहीं, इलाज से ठीक हो सकती है मिर्गी
बाराबंकी जिला अस्पताल मिर्गी रोग को लेकर खासा सतर्क है. जिले में हर महीने तकरीबन 60-70 रोगी अपना इलाज कराने पहुंच रहे हैं. एक आंकड़े के मुताबिक भारत मे करीब एक करोड़ लोग मिर्गी के रोगी हैं.
झटके को हल्के में न लें
किसी भी इंसान को झटके आने को हल्के में न लें क्योंकि बार-बार झटका आने से बीमारी गम्भीर हो सकती है. झटके आने के बाद बेहोश हो जाना, मुंह से झाग आने लगना ये मिर्गी के लक्षण हैं. जागरूकता का ही असर है कि लोग अब नीम हकीमों और अंधविश्वास को छोड़ अस्पताल पहुंचने लगे हैं. विशेषज्ञों की सलाह है कि मिर्गी के लक्षण पाए जाने के बाद इसका तुरन्त इलाज शुरू करा देना चाहिए. बार बार झटके आने से मेंटल लेवल गिरता जाएगा और बीमारी गम्भीर हो जाएगी इसलिए अंधविश्वास से बचें.
क्या है मिर्गी
मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमे रोगी को बार बार दौरे पड़ने लगते हैं. दौरे के समय मरीज का दिमागी संतुलन बिगड़ जाता है और वो लड़खड़ा कर गिर जाता है. बेहोश हो जाता है और करीब 4-5 मिनट तक बेहोश रहता है. इसमें शरीर अकड़ जाता है. डॉ राहुल सिंह बताते हैं कि मिर्गी अनुवांशिक रोग नहीं है. ये रोग अत्यधिक नशीले पदार्थों के सेवन करने ,मस्तिष्क में गहरी चोट लगने, ब्रेन ट्यूमर और मानसिक सदमे से भी हो सकता है. मरीज को झटके आने पर उसे जूता, मोजा सुंघाने से बचें, इससे और नुकसान होता हैं. ऐसे मरीजों को बाइक चलाने , कुएं, नदी, नहर और आग के पास जाने से बचाना चाहिये. इस रोग का इलाज सम्भव है. मेडिकल साइंस में इसकी दवाएं मौजूद हैं. समय रहते अगर मरीज का इलाज शुरू कर दिया जाय तो मरीज ठीक हो सकता है.